Sunday, 7 June 2020

प्रश्न - *विनम्रता व कायरता में क्या अंतर है? उग्रता व बहादुरी में क्या अंतर है?*

प्रश्न - *विनम्रता व कायरता में क्या अंतर है? उग्रता व बहादुरी में क्या अंतर है?*

उत्तर- आत्मीय भाई,

*विनम्रता* - धर्मनिष्ठ ज्ञानी व्यक्ति में विनम्रता आती है। हनुमानजी ज्ञान के भंडार थे, पुरुषार्थ था, बल था, असुरों को नष्ट करने में समर्थ थे। मग़र ज्ञान व शक्ति का प्रदर्शन मात्र भय दूर करने के लिए, अज्ञानता को नष्ट कर मार्गदर्शन करने के लिए और अशक्तों के रक्षण हेतु करते थे। हनुमानजी ने कभी किसी को भय दिखाने के लिए नहीं और अहंकार प्रदर्शन के लिए बल व ज्ञान का प्रदर्शन नहीं किया। इसे विनम्रता कहेंगे।

*कायरता* - शक्तिवान व पुरुषार्थ करने में सक्षम व्यक्ति यदि अनीति से लोहा नहीं ले रहा तो वह विनम्रता नहीं अपितु कायरता होती है। मृत्यु के भय से, बदनामी के भय से, जॉब जाने के भय से या अन्य किसी भय से चुपचाप अत्याचार सहना और अपनी शक्ति सामर्थ्य का उपयोग न करना। इसे कायरता कहेंगे।

*लाचार* - अक्षम व अपाहिज को कायर नहीं कहा जाता वो बेबस व लाचार कहलाते हैं।

*उग्रता* -  वह होती है जब शक्ति प्रदर्शन कमजोरों पर होता है, जब जनता में भय व्याप्त करने व अहंकार के प्रदर्शन के उद्देश्य से शक्ति प्रदर्शन होता है। उग्रता में हमेशा ज्ञान का प्रदर्शन अहंकार के पोषण हेतु होता है। रावण हनुमानजी जैसे ही महा ज्ञानी और शक्तिशाली था। मगर उसका ज्ञान व बल का प्रदर्शन अहंकार के पोषण के लिए होता था।

*बहादुरी* -  में व्यक्ति अपनी सामर्थ्य अनुसार या सामर्थ्य से अधिक प्रयत्न करके न सिर्फ स्वयं का रक्षण करता है अपितु दुसरो के रक्षण का भी प्रयत्न करता है। अनीति से लोहा लेने को ततपर रहता है।

भक्त हनुमानजी भी थे और भक्त रावण भी था। दोनों की भक्ति में एक अंतर था, हनुमानजी जी सेवक बनकर श्रीराम की सेवा करना चाहते थे। रावण भगवान शंकर की भक्ति अपनी मर्जी से करके अपनी इच्छापूर्ति चाहता था। हनुमान जी कहते थे प्रभु आपकी इच्छा पूर्ण हो। रावण कहता था भगवन मेरी इच्छा पूर्ण हो।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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