Sunday 14 June 2020

प्रश्न - *ऐसा अक्सर क्यों कहा जाता हैं - कम से कम वृद्धावस्था में तो राम नाम ले लो, सुधर जाओ*

प्रश्न - *ऐसा अक्सर क्यों कहा जाता हैं - कम से कम वृद्धावस्था में तो राम नाम ले लो, सुधर जाओ*

उत्तर - अगर डिनर में सब कुछ स्वादिष्ट हो तो अति उत्तम है। यदि सबकुछ अच्छा न भी रहा तो कम से कम कुछ अंतिम में मीठा खा लो तो मुंह का स्वाद उत्तम बन जाता है। लेकिन यदि अंतिम में कड़वी नीम की चटनी दे दी जाए तो मुंह कड़वा हो जाता है।

सलाह तो यही दी जाती है कि पूरा जीवन ही उत्तम व धर्ममय जियें, यदि वह किन्हीं कारणवश न बन पड़ा, तो कम से कम वृद्धावस्था में तो जप तप करके कुछ तो पुण्य कमा लें। कुछ तो आत्म संतोष लेकर तो मरें।

हमारी अर्थी ले जाने वाले तो *राम नाम ही सत्य है* बोलेंगे, लेकिन यदि मरने से पूर्व हम इस शरीर में रहते हुए  *राम नाम ही सत्य है* समझ रहे होंगे तो सुकून में भयमुक्त प्राण त्यागा होगा और यदि *राम नाम का सत्य नहीं समझा होगा* तो भय में हज़ारों बिच्छुओं के डंक जितना दर्द सहकर व तड़फकर शरीर से निकले होंगे। मनुष्य के 9 द्वार हैं - एक मुँह, दो नाक के छिद्र, दो आंख, दो कान, दो मल-मूत्र मार्ग। अब राम नाम सत्य की महिमा समझ के मरेंगे तो उत्तम द्वार से निकलेंगे, नहीं समझे होंगें तो निम्न मार्ग से देहत्यागेंगे।

फ़िर 10 से 12 दिन ही इस जन्म के शरीर सम्बन्धियो के साथ रहने को मिलेगा, 13 वे दिन तो पुनः नई यात्रा में जाने से पूर्व धर्मराज को इस जन्म का लेखा जोखा देना होगा। अब धर्मराज के दरबार तक पहुंचने के लिए वाहन तो तब मिलेगा जब पुण्य करके बुकिंग करवाई होगी। नहीं तो भैया पैदल एक वर्ष चलकर पहुंचेंगे। हिसाब वहाँ जाकर देंगे। तद्नुसार नए जन्म की रूपरेखा बनेगी।

इसीलिए कहा जा रहा है, अब तो आत्मा का यह सफ़र खत्म होने को है, वृद्धावस्था आ गयी। अब तो राम नाम ले लो। मोह-माया मुक्त हो जाओ। राम नाम ही सत्य हैं समझ लो। आगे के सफर की तैयारी कर लो। वाहन इत्यादि की बुकिंग के लिए जप-तप-पुण्य-परमार्थ कर लो।

वैसे मृत्यु कब आएगी यह किसी को नहीं पता, इसलिए जप-तप-पुण्य-परमार्थ  करने के लिए वृद्धावस्था का इंतज़ार नहीं करना चाहिए। अभी से तैयारी करनी चाहिए, इसलिए हम तो अभी से राम नाम के सत्यान्वेषण में जुट गए हैं। जप,तप पुण्य परमार्थ में जुट गए हैं😇😇😇😇

🙏🏻श्वेता, DIYA

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