Tuesday 30 June 2020

निर्णय आपका! करोगे चुनाव किसका? होश या बेहोशी?*

*निर्णय आपका! करोगे चुनाव किसका? होश या बेहोशी?*

दो प्रबल आकर्षण(चुम्बकत्व) - पशु व  महामानव के बीच हम खड़े हैं, दोनों हमें अपनी ओर खींच रहे हैं। एक ओर सांसारिक इच्छाओं व वासनाओं का कीचड़ व मौज-मस्ती की दलदल है, दूसरी ओर अध्यात्म का वैभव व सुकून शांति है। किस ओर जाओगे? यह हमें ही तय करना है.. चुनाव तो करना पड़ेगा...

नशीले द्रव्य व लापरवाह ज़िन्दगी में इंसान से पशु बनाने में सहायक हैं। जब तक नशे में हो पशुवत विवेकहीन हो। न पशु को चिंता होती है वैसे बेहोशी में तुम भी चिंता न कर सकोगे। यह आसान है, पहाड़ से गिरने की तरह।

गायत्रीमंत्र जप व ध्यान जिंदगी में इंसान से महामानव बनाने में सहायक है। जब तक ध्यान से होशपूर्वक हो विवेकयुक्त हो। प्रत्येक समस्या के समाधान उभरेंगे। चिंता यहां भी न होगी। केवल शांत चित्त से चिंतन कर सकोगे। यह थोड़ा कठिन है, पहाड़ चढ़ने की तरह।

केवल इंसान रूप में ही चिंता है, तनाव है, परेशानी का अनुभव है। न पशुवत  बेहोशी में चिंता रहेगी और न हीं महामानव होशपूर्वक अवस्था में चिंता बचेगी।

नशा व बेहोशी समस्या को कुछ क्षण भुला देगा, मग़र नशा उतरते ही समस्या जहां थी वहीं मिलेगी।

मंत्रजप व ध्यान में होशपूर्वक किया चिंतन  समस्या को सुलझा देगा।

वोटिंग का समय है, चयन कर लो।

💐श्वेता, DIYA

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