कुछ पल आनन्द के,
जब नित्य झोली में हों तुम्हारे,
तब जान लो जीवन डगर सही है।
कुछ पल सुकून के,
जब नित्य पास हों तुम्हारे,
तब मान लो जीवन साधना सही है।
जब कण कण में,
प्रभु के दर्शन कर सकें नयन तुम्हारे,
तब जान लो हँस साधना सध रही है।
जब सब अपने लगें तुम्हें,
कोई पराया जब जग जग में दिखे न तुम्हें,
जन जन की सेवा में जब मन लगे तुम्हारा,
तब जान लो तुममें देवत्व उभर रहा है।
फक्कड़ मस्ती हो जब जीवन में,
आनन्द उमंग उल्लास से भरा हृदय हो,
तब जान लो *मैं* मिट रहा है,
अब *वह* ही *वह* तुममें शेष बच रहा है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
जब नित्य झोली में हों तुम्हारे,
तब जान लो जीवन डगर सही है।
कुछ पल सुकून के,
जब नित्य पास हों तुम्हारे,
तब मान लो जीवन साधना सही है।
जब कण कण में,
प्रभु के दर्शन कर सकें नयन तुम्हारे,
तब जान लो हँस साधना सध रही है।
जब सब अपने लगें तुम्हें,
कोई पराया जब जग जग में दिखे न तुम्हें,
जन जन की सेवा में जब मन लगे तुम्हारा,
तब जान लो तुममें देवत्व उभर रहा है।
फक्कड़ मस्ती हो जब जीवन में,
आनन्द उमंग उल्लास से भरा हृदय हो,
तब जान लो *मैं* मिट रहा है,
अब *वह* ही *वह* तुममें शेष बच रहा है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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