किसी के पतन से किसी का उत्थान सम्भव नहीं, असुर हमेशा सोचते थे कि देवताओं के कारण उन्हें यज्ञ भाग इज्जत नहीं मिलती। मग़र कभी स्वयं के चरित्र चिंतन व व्यवहार का आंकलन नहीं किया। हमेशा देवताओं को स्वर्ग से बहिष्कृत करने का सोचा, लेकिन कभी स्वर्ग में रहने योग्य व जन जन का पूजनीय बनने योग्य कर्म, जप, तप, साधना व लोकसेवा नहीं की।
देवताओं को स्वर्ग से हटाकर भी असुर पूजनीय नहीं बन सकते। क्योंकि पूजनीय देवता अपने कर्म के कारण बनते हैं न कि स्वर्ग में रहने के कारण...
यदि असुरों को यह अक्ल आ जाये, व स्वयं के निर्माण में जुट जाएं। अपनी योग्यता पात्रता बढ़ा लें तो त्रिदेव स्वयं उन्हें स्वर्ग का अधिष्ठाता व पूजनीय बना देंगे। किसी युद्ध व षड्यंत्र की जरूरत ही नहीं रहेगी।
हे असुर प्रवृत्ति कालनेमि, षड्यंत्र करके किसी को सत्ता से हटाने में समय व्यर्थ मत करो। अपितु अपनी योग्यता व पात्रता इतनी बढ़ाओ कि तुम जन जन के पूजनीय स्वयंमेव बन जाओ। त्रिदेव तुम्हें स्वयं सत्ता सौंप दें। समझ जाओ किसी के पतन से तुम्हारा उत्थान सम्भव न होगा। उत्थान व्यक्तिगत है, स्वयं की योग्यता व पात्रता बढाने पर ही सम्भव है।
💐श्वेता, Diya
देवताओं को स्वर्ग से हटाकर भी असुर पूजनीय नहीं बन सकते। क्योंकि पूजनीय देवता अपने कर्म के कारण बनते हैं न कि स्वर्ग में रहने के कारण...
यदि असुरों को यह अक्ल आ जाये, व स्वयं के निर्माण में जुट जाएं। अपनी योग्यता पात्रता बढ़ा लें तो त्रिदेव स्वयं उन्हें स्वर्ग का अधिष्ठाता व पूजनीय बना देंगे। किसी युद्ध व षड्यंत्र की जरूरत ही नहीं रहेगी।
हे असुर प्रवृत्ति कालनेमि, षड्यंत्र करके किसी को सत्ता से हटाने में समय व्यर्थ मत करो। अपितु अपनी योग्यता व पात्रता इतनी बढ़ाओ कि तुम जन जन के पूजनीय स्वयंमेव बन जाओ। त्रिदेव तुम्हें स्वयं सत्ता सौंप दें। समझ जाओ किसी के पतन से तुम्हारा उत्थान सम्भव न होगा। उत्थान व्यक्तिगत है, स्वयं की योग्यता व पात्रता बढाने पर ही सम्भव है।
💐श्वेता, Diya
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