Tuesday, 14 July 2020

प्रश्न - *हमारे घर वाले कहते हैं कि पूजा पाठ से कुछ नहीं होता। उन्हें कैसे समझाएं*

प्रश्न - *हमारे घर वाले कहते हैं कि पूजा पाठ से कुछ नहीं होता। उन्हें कैसे समझाएं*

उत्तर - बहन, अदरक जिसने कभी खाया नहीं वह उसके स्वाद को कैसे समझेगा?

अदरक के गुणवत्ता और औषधीय लाभ को कोई पढ़ेगा नहीं तो भी उसके बारे में नहीं जान सकेगा।

अतः जिस व्यक्ति ने कभी अध्यात्म के अभ्यास जप, तप, ध्यान व स्वाध्याय को किया नहीं, तो उसको कोई अनुभूति नहीं है। जिसने आध्यात्मिक ग्रंथ पढ़ा नहीं, तो उसे उस सम्बन्ध में जानकारी नहीं है।

ऐसे लोगों का यह बोलना कि पूजा - पाठ से कुछ नहीं होता, वस्तुतः सरासर ग़लत है। उनके अधूरे ज्ञान व अहंकार का प्रदर्शन है। अध्यात्म की समझ न होने के कारण है।

आध्यात्मिक, वैज्ञानिक व ज्ञानी पहले प्रयोग करते हैं, फिर कहते हैं कि इस प्रयोग से कुछ होगा या नहीं।

मग़र हमारे देश के पढ़े लिखे नासमझ लोग नशा करते हैं, वह सब करते हैं जो जानते हैं कि नुकसानदेह है। मग़र जब अध्यात्म की बात आती है तो अहंकार प्रदर्शित करते हुए झूठा ज्ञान प्रदर्शित करते हैं, कि इससे कुछ नहीं होता।

उन्हें पूजा व पाठ का महत्त्व समझाने से पूर्व उसका महत्त्व आपको समझना पड़ेगा।

उपासना, साधना व आराधना को शॉर्टकर्ट में लोकल भाषा में पूजा व पाठ कहते हैं।

पुस्तक - *अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार* पढ़िये, व अध्यात्म के बेसिक्स को समझिए कि अध्यात्म कार्य कैसे करता है।


अर्जुन ज्ञानी, योद्धा व युवा था। युद्ध के मैदान में था। गीता के ज्ञान व अध्यात्म की जरूरत उसे ही पड़ी।

गीता की वस्तुतः अर्जुन जैसे ज्ञानियों को जरूरत है। गीता की वस्तुतः आवश्यकता युवावस्था में ही सबसे ज़्यादा है।

कम से कम 108 दिन तक  श्रीमद्भागवत गीता का पाठ हिंदी में नित्य कीजिये, 20 मिनट उगते सूर्य का ध्यान व पांच माला गायत्रीमंत्र का नित्य जप कीजिये, नित्य एक पेज गायत्री मंत्र लेखन दोनों हाथों से बारी बारी कीजिये, 21 बार प्राणायाम कीजिये, स्वयं को अर्जुन व गुरु को भगवान कृष्ण रूप में समझते हुए स्वाध्याय कीजिये। सप्ताह में एक दिन गुरुवार का व्रत कीजिये।  भगवान से प्रार्थना कीजिए, हे प्रभु इतनी शक्ति व सामर्थ्य दीजिये कि अध्यात्म के चार आघार - गौ, गंगा, गीता व गायत्री को गहराई से समझ सकूँ और किसी अन्य को भी समझा सकूँ। गीता जो भी पढ़े उस पर चलते फिरते चिंतन करें।

आर्तस्वर में हृदय की गहराई से भगवान को समर्पित हो प्रार्थना कीजिये कि हे प्रभु इतनी शक्ति, सामर्थ्य व ज्ञान दीजिये कि स्वयं भी आत्मा को रौशन करूँ और दूसरे को यह रौशनी की चमक अनुभूत करवा सकूँ। उन्हें भी सत्य व आत्मज्ञान के पथ पर बढ़ा सकूँ। उनकी आत्मा की दरिद्रता को मिटाने का प्रयास कर सकूँ।

जैसे जैसे आपका मन शांति अनुभव करेगा, ज्ञान का आलोक आपके भीतर जलेगा, सुंदर भक्ति भावनाओ से हृदय भरेगा। आपके चेहरे पर ओज और आपकी वाणी में ज्ञान का प्रभाव स्पष्ट दिखने लगेगा।

तब आप अध्यात्म का मर्म अपने घरवालों को समझाने में सक्षम बन जाएंगी। विश्वास मानिए कि यह 108 दिन की साधना आपको नास्तिकों को झेलने व हैंडल करने की पर्याप्त शक्ति दे देगा। आपको अपने जीवन की उलझनों को सुलझाने में मदद करेगा।

बहन, अध्यात्म एक विज्ञान है। इसे विधिवत समझकर विधिपूर्वक व श्रद्धा -विश्वास के साथ किया जाय तो यह अपने परिणाम स्पष्ट परिलक्षित करता है।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

बाएं हाथ से लिखने में शुरू में असुविधा होगी, राइटिंग बिगड़ेगी। तो चिंता न करें। दोनो हाथ से लिखने पर दोनों मष्तिष्क एक्टिव होगा। हमें दोनो मष्तिष्क को एक्टिवेट करने हेतु दोनो हाथ से लिखना है।

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