*अपनी वर्तमान हैसियत देखकर बच्चे अधिक पैदा करने की भूल न करें*
एक सेव के बाग का मालिक जिसके पास सौ पेड़ थे, अमीरी के दिन गुजारता। पांच बेटे पैदा किये, बोला मेरी जेब व मेरी हैसियत है ज्यादा सन्तान की। बच्चे बड़े हुए 20 पेड़ सबके हिस्से आये, वह पिता के समान न अमीर रहे न उनकी उतनी हैसीयत रही। उन पांचों में से बड़े ने पिता की तरह पांच बच्चे पैदा किये, दूसरे व तीसरे ने चार-चार बच्चे पैदा किये, चौथे ने दो पुत्र पैदा किये, पांचवा भाई समझदार था एक ही रखा। बड़े भाई के बच्चों में जब बंटवारा हुआ तो प्रत्येक को चार-चार सेव के पेड़ मिले। तीसरे व चौथे भाई की क्योंकि चार संतानें थी तो उनके पुत्र को पांच-पांच वृक्ष मिले। चौथे भाई के क्योंकि दो पुत्र थे तो उन्हें दस-दस वृक्ष मिले। पांचवे भाई के इकलौते पुत्र के पास पिता की संपत्ति ज्यों कि त्यों 20 वृक्ष रहे। सौ सेव के पेड़ों का मालिक जहां ऐशोआराम से जी रहा था। आज उसके बड़े पुत्र के बच्चे(पौत्र) चार पेड़ो के साथ बमुश्किल जिंदगी चला पा रहे हैं। दादा की अमीरी पोतों तक नहीं बची।
सेव के बाग के प्रथम मालिक ने दूरदर्शिता अपनाकर एक या दो सन्तान रखी होती, तो उनके वंशजो को परेशानी का सामना न करना पड़ता।
सन्तान सुख एक या दो बच्चों से लेना उत्तम है, लेक़िन दो से अधिक सन्तान देश समाज व अपनी संतानों को गरीब व दरिद्र बनाने की योजना है।
प्रत्येक बच्चा श्वांस, जल, चलने की रोड, नौकरी, व्यवसाय सबमें सीधे सीधे समाज मे हिस्से लेगा। अतः यह कहना कि हमारी हैसियत है अधिक बच्चे की तो झूठ बोल रहे हो, समाज व पृथ्वी की हैसियत व प्राकृतिक संसाधन का आंकलन व हैसियत तो अधिक बच्चे पैदा करते समय देखनी चाहिए थी न...
💐श्वेता, Diya
एक सेव के बाग का मालिक जिसके पास सौ पेड़ थे, अमीरी के दिन गुजारता। पांच बेटे पैदा किये, बोला मेरी जेब व मेरी हैसियत है ज्यादा सन्तान की। बच्चे बड़े हुए 20 पेड़ सबके हिस्से आये, वह पिता के समान न अमीर रहे न उनकी उतनी हैसीयत रही। उन पांचों में से बड़े ने पिता की तरह पांच बच्चे पैदा किये, दूसरे व तीसरे ने चार-चार बच्चे पैदा किये, चौथे ने दो पुत्र पैदा किये, पांचवा भाई समझदार था एक ही रखा। बड़े भाई के बच्चों में जब बंटवारा हुआ तो प्रत्येक को चार-चार सेव के पेड़ मिले। तीसरे व चौथे भाई की क्योंकि चार संतानें थी तो उनके पुत्र को पांच-पांच वृक्ष मिले। चौथे भाई के क्योंकि दो पुत्र थे तो उन्हें दस-दस वृक्ष मिले। पांचवे भाई के इकलौते पुत्र के पास पिता की संपत्ति ज्यों कि त्यों 20 वृक्ष रहे। सौ सेव के पेड़ों का मालिक जहां ऐशोआराम से जी रहा था। आज उसके बड़े पुत्र के बच्चे(पौत्र) चार पेड़ो के साथ बमुश्किल जिंदगी चला पा रहे हैं। दादा की अमीरी पोतों तक नहीं बची।
सेव के बाग के प्रथम मालिक ने दूरदर्शिता अपनाकर एक या दो सन्तान रखी होती, तो उनके वंशजो को परेशानी का सामना न करना पड़ता।
सन्तान सुख एक या दो बच्चों से लेना उत्तम है, लेक़िन दो से अधिक सन्तान देश समाज व अपनी संतानों को गरीब व दरिद्र बनाने की योजना है।
प्रत्येक बच्चा श्वांस, जल, चलने की रोड, नौकरी, व्यवसाय सबमें सीधे सीधे समाज मे हिस्से लेगा। अतः यह कहना कि हमारी हैसियत है अधिक बच्चे की तो झूठ बोल रहे हो, समाज व पृथ्वी की हैसियत व प्राकृतिक संसाधन का आंकलन व हैसियत तो अधिक बच्चे पैदा करते समय देखनी चाहिए थी न...
💐श्वेता, Diya
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