अब न चेते तो बहुत देर हो जाएगी। जनसंख्या विष्फोट एक बहुत बड़ी समस्या है। जनसंख्या नियंत्रण कानून की बहोत है आवश्यकता। अधिकतर लोग समझदार नहीं है, पशुवत है, उन्हें मात्र कानून के भय से ही उन्हें जनसंख्या बढाने से रोका जा सकता है।
सत्य घटना - एक दादी को उनके जमींदार भाई ने बड़ी कोठी, दस बोरे सोने चांदी व जवाहरात, सौ एकड़ ज़मीन और 5 तालाब व बाग गिफ्ट किये। उन्होंने कई बच्चे किये उनके बच्चों के कई बच्चे हुए। इतनी जनसंख्या वृद्धि हुई कि कहने को अब उस गाँव मे समस्त लोग उन्हीं दादी की वंश परम्परा के रक्त सम्बन्धी हैं। मग़र खेत के नाम पर प्रत्येक व्यक्ति के पास एक एकड़ भी जमीन नहीं, बाग तो छोड़ो कुछ पेड़ हिस्सेदारी में मिले हैं। जिस दादी की अमीरों में गिनती थी उनके वंशज मजदूरी करके गुजारा कर रहे हैं। जो दादी गरीबो को दान देती थी, आज उनके वंशज हाथ फैलाने को मजबूर हैं। कुछ पढ़लिख कर ग़ांव छोड़ चले गए, कुछ बड़े शहरों में ड्राइवर है, कुछ रोड बनाने के मजदूर हैं, कुछ रेलवे में है। यदि देश की आजादी के समय जनसंख्या कानून बन जाता, दादी व उनके वंशज एक या दो सन्तान ही रखते तो आज वह समृद्ध बने रहते। आज जनसंख्या दबाव का शिकार हो उस ग़ांव के लोग गरीब व दरिद्र न बनते। जमीन व प्राकृतिक संसाधन नहीं बढ़ रहे परन्तु जनसंख्या की निरन्तर वृद्धि भारत को तबाह कर देगी। अब न चेते तो बहुत देर हो जाएगी। भूखों मरने की नौबत आएगी।
💐श्वेता, DIYA
सत्य घटना - एक दादी को उनके जमींदार भाई ने बड़ी कोठी, दस बोरे सोने चांदी व जवाहरात, सौ एकड़ ज़मीन और 5 तालाब व बाग गिफ्ट किये। उन्होंने कई बच्चे किये उनके बच्चों के कई बच्चे हुए। इतनी जनसंख्या वृद्धि हुई कि कहने को अब उस गाँव मे समस्त लोग उन्हीं दादी की वंश परम्परा के रक्त सम्बन्धी हैं। मग़र खेत के नाम पर प्रत्येक व्यक्ति के पास एक एकड़ भी जमीन नहीं, बाग तो छोड़ो कुछ पेड़ हिस्सेदारी में मिले हैं। जिस दादी की अमीरों में गिनती थी उनके वंशज मजदूरी करके गुजारा कर रहे हैं। जो दादी गरीबो को दान देती थी, आज उनके वंशज हाथ फैलाने को मजबूर हैं। कुछ पढ़लिख कर ग़ांव छोड़ चले गए, कुछ बड़े शहरों में ड्राइवर है, कुछ रोड बनाने के मजदूर हैं, कुछ रेलवे में है। यदि देश की आजादी के समय जनसंख्या कानून बन जाता, दादी व उनके वंशज एक या दो सन्तान ही रखते तो आज वह समृद्ध बने रहते। आज जनसंख्या दबाव का शिकार हो उस ग़ांव के लोग गरीब व दरिद्र न बनते। जमीन व प्राकृतिक संसाधन नहीं बढ़ रहे परन्तु जनसंख्या की निरन्तर वृद्धि भारत को तबाह कर देगी। अब न चेते तो बहुत देर हो जाएगी। भूखों मरने की नौबत आएगी।
💐श्वेता, DIYA
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