Wednesday, 8 July 2020

प्रश्न - *क्या स्वयं के लिए भगवान से कुछ चाहना व माँगना ग़लत है?*

प्रश्न - *क्या स्वयं के लिए भगवान से कुछ चाहना व माँगना ग़लत है?*

उत्तर - भगवान से क्या माँगना चाहिए यदि यह पता हो तो इस प्रश्न का उत्तर समझ मे आ जायेगा।

स्वर्ण जवाहरात की दुकान में आलू व भिंडी खरीदने जाना जितना गलत है उतना ही भगवान के दरबार मे स्थूल व संसारी वस्तुएं माँगना गलत है।

ड्राइविंग स्कूल में गाड़ी चलाना सीखने जाना तो सही है, लेकिन यह कहना कि हे ड्राइविंग स्कूल वाले तुम मुझे भारत में यह सुनिश्चित करो कि समस्त  रोड गड्ढे व ट्रैफिक मुक्त हो तो वह सरासर ग़लत है।

इसी तरह भगवान से धन-सम्पदा, सांसारिक जॉब में प्रमोशन, मनचाहा वर, मनचाही आज्ञाकारी सन्तान, मनचाहे ससुराल वाले और मनचाहा ऑफिस में बॉस माँगना गलत है।

जैसे हीरे जवाहरात की दुकान में उच्च मूल्य चुकाकर हीरे जवाहरात ही खरीदे जा सकते हैं। वैसे ही उच्चाकांक्षा की पूर्ति के लिए उच्च मूल्य चुकाना पड़ता है, वह मूल्य अधिक श्रम या कठिनाई इत्यादि कुछ भी हो सकता है।

जैसे ड्राइविंग स्कूल में ट्रेनर से कहना चाहिए, मुझे ड्राइविंग में वह कुशलता दीजिये कि कैसा भी ट्रैफिक हो और कैसी भी रोड हो या कैसी भी कार हो मैं चला सकूँ और जीवन के सफर का आनन्द ले सकूँ। मुझे मेरे ड्राइविंग के कार्य मे कुशलता दीजिये।

भगवान से माँगना चाहिए सद्बुद्धि, धैर्य, साहस, उत्साह व उमंग। वह आत्मज्ञान की कुशलता जिसमें आवश्यकता अनुसार कमा सकें, कैसा भी जीवनसाथी हो उसे सम्हाल सकें, कैसी भी सन्तान रूपी जीवात्मा का जन्म हो उसे सँस्कारवान बना सकें, जिस भी ऑफिस में कार्य करें, उस ऑफिस की उन्नति में सर्वाधिक योगदान दे सकें, कैसा भी ऑफिस में बॉस मिले उसे हैंडल कर सकें, कैसी भी जीवन मे समस्या आये विजेता की तरह उसे चुनौती रूप में स्वीकार कर सकूं। प्रभु मेरे जीवन युद्ध मे तुम मेरे लिए हथियार मत उठाना, पर इतना अनुरोध है कि मेरे बुद्धि रथ पर बैठकर मेरे जीवन के सारथी बन जाना। मेरा सतत मार्गदर्शन करना।

मैं नित्य जीवन के मार्गदर्शन व जीवन गाड़ी की ड्राइविंग सीखने जप-तप-ध्यान-स्वाध्याय करूंगा। आपके सान्निध्य में आऊंगा। मैं नहीं कहता मेरा जीवन सुखमय बनाओ, मैं बस इतनी प्रार्थना कर रहा हूँ कि मुझे बुद्धिबल व वह सामर्थ्य दो जिससे मैं स्वयं का जीवन सुखमय बना सकूँ। अपने जीवन सफर की कठिनाइयों को पार कर सकूं और जीवन सफर का आनन्द ले सकूँ। मेरे जीवन का लक्ष्य व मंजिल तुम तक पहुंचना है, एक दिन तुम तक पहुँच सकूँ। यह जीवन सार्थक कर सकूं।

🌹 भगवान से मत कहो, मेरा युद्ध तुम लड़ो, यह भी मत कहो कि यह युद्ध टाल दो। अपितु यह कहो कि इस युद्ध मे मेरे जीवन के सारथी बन जाओ। मेरा मार्गदर्शन करो। बस तुम मेरे साथ रहो। 🌹

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
भारतीय शिक्षण मण्डल

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