प्रश्न - *सेवा के बदले सम्मान चाहना क्या गलत है?*
उत्तर - सूर्य को कोई सम्मान दे न दे वह सबकी सेवा रौशनी देकर करता है। सेवा निःश्वार्थ होनी चाहिए, चाहे गुरु सेवा हो या समाज सेवा हो या परिवार की सेवा हो। नेकी व सेवा कार्य करके उसे ईश्वर को समर्पित कर देना चाहिए। ईश्वर को धन्यवाद दें, कि हे ईश्वर मुझे सेवा का अवसर प्रदान करने के लिए धन्यवाद। अपना निमित्त बनाने के लिए धन्यवाद दें।
सम्मान की चाह में की गई सेवा उचित नहीं है। सेवा जब निःश्वार्थ होती है, तब वह सेवा ईश्वर तक पहुंचती है, जिसकी सूचना आआपके हृदय को आत्मसंतुष्टि व आत्मतृप्ति के माध्यम से मिलती है।
🌹आपके दिन को आपके भीतर उठते शुभ विचार शुभ व मङ्गलमय बनाएं🌹
💐श्वेता, DIYA
उत्तर - सूर्य को कोई सम्मान दे न दे वह सबकी सेवा रौशनी देकर करता है। सेवा निःश्वार्थ होनी चाहिए, चाहे गुरु सेवा हो या समाज सेवा हो या परिवार की सेवा हो। नेकी व सेवा कार्य करके उसे ईश्वर को समर्पित कर देना चाहिए। ईश्वर को धन्यवाद दें, कि हे ईश्वर मुझे सेवा का अवसर प्रदान करने के लिए धन्यवाद। अपना निमित्त बनाने के लिए धन्यवाद दें।
सम्मान की चाह में की गई सेवा उचित नहीं है। सेवा जब निःश्वार्थ होती है, तब वह सेवा ईश्वर तक पहुंचती है, जिसकी सूचना आआपके हृदय को आत्मसंतुष्टि व आत्मतृप्ति के माध्यम से मिलती है।
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