Saturday, 4 July 2020

गुरुपूर्णिमा की पूर्व संध्या पर करें विचार...* कौन लाया जीवन में परिवर्तन

*गुरुपूर्णिमा की पूर्व संध्या पर करें विचार...*
कौन लाया जीवन में परिवर्तन,
किसने गढ़ा हमारा मन?
कौन हैं हमारे गुरुजन,
किसने बनाया हमें सामाजिक,
किसने बनाया हमें पशु से मानव,
मानव से महामानव।

प्रथम गुरु बनी माता,
द्वितीय गुरु बने पिता,
तृतीय गुरु बने शिक्षक गण,
इन सबने बनाया पशु से मानव,
सिखाया सामाजिक व तकनीकी ज्ञान।

चतुर्थ गुरु की भूमिका में आये युगऋषि,
मानव से महामानव,
महामानव से देवमानव बनने का,
ज्ञान व साधना मार्ग प्रशस्त किया,
नर से नारायण बनने की; हममें क्षमता है,
इसका उन्होंने दिव्य आभास दिया।

माता ने एक जन्म दिया,
सद्गुरु ने इसी जीवन में,
द्वितीय जन्म दिया,
*गौ, गंगा, गायत्री, गीता देकर*,
हममें *द्विजत्व* का उदय किया।

गुरु! जो कि है पूरी माँ,
उसकी याद में आओ मनाए *गुरुपूर्णिमा*,
हृदय से देते हुए उन्हें आभार,
आओ उनको करें हृदय से याद,
उनके चरणों में श्रद्धा-विश्वास के पुष्प अर्पित करें,
आओ उनके दिखाए मार्ग पर अनवरत चलें।

अंधेरे से प्रकाश की ओर,
असत्य से सत्य की ओर,
मृत्यु से अमृत्व की ओर,
नर से नारायण बनने की ओर,
आओ मिलकर कदम बढ़ाएं,
गुरु अनुसाशन को जीवन में लाएं,
उपासना-साधना-आराधना को अपनाएं,
जीवन को सार्थक व प्रकाशमय बनाएं,
आओ स्वयं में शिष्यत्व जगाएं।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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