Saturday, 4 July 2020

शोर में भी ध्यान, विपत्तियों में भी गान,

शोर में भी ध्यान, विपत्तियों में भी गान,
ख़ुशी में भी विनम्र और सफ़लता में भी शांत,
तो समझो मन साधना आ गया,
जीवन जीना आ गया।

संसार में एकांत और गृहस्थ में भी वैराग्य,
कंकर कंकर में भी जब हो शंकर का आभास,
तो समझो स्वयं को साधना आ गया,
आत्मबोध शुरू हो गया।

बुद्धि हो निर्मल और चित्त हो प्रशन्न,
खुली आँखों से जब पूरे करें स्वप्न,
तब समझो कर्म में कुशलता आ गया,
कर्म योग जीवन मे साधना आ गया,
जीवन जीना आ गया।

गुरु को करें वरण और पाले उनका अनुसाशन,
गुरु को चित्त में करे धारण और गुरु का करें काम,
तो समझो गुरुतत्व धारण करना आ गया,
गुरु में रमना आ गया।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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