प्रश्न - *भोजन को अभिमंत्रित करने की विधि बताएं*
उत्तर - जैसे किसी भी वस्तु को खाने या पकाने से पहले स्थूल रूप में धोया जाता है। वैसे ही हमारे शास्त्र व ऋषि परम्परा कहती हैं कि भोज्य पदार्थ को ग्रहण करने से पहले उसका सूक्ष्म संशोधन भी अनिवार्य है।
मनुष्य की तरह ही , अन्न का भी स्थूल व सूक्ष्म भाग होता है। स्थूल भाग के पाचन से शरीर बनता है, सूक्ष्म भाग के पाचन से मन बनता है।
जैसा खाओ अन्न वैसा होवे मन।
अभिमंत्रित करना - अर्थात मंत्र द्वारा भोजन के सूक्ष्म का संशोधन, शुद्ध व पवित्र करना। अन्न के भावों का शोधन।
*अतिउत्तम प्रथम प्रक्रिया है* - बलिवैश्व यज्ञ, घर में जो भी भोजन बने, उसको थोड़ा सा गायत्रीमंत्र की पँच बलिवैश्व आहुतियों से गैस पर ही सूक्ष्म यज्ञ के माध्यम से बलिवैश्व यज्ञ द्वारा यज्ञाग्नि को अर्पित कर दें। इससे भोजन यज्ञ प्रसाद बन जाता है, अन्न संशोधित हो जाता है।
*उत्तम द्वितीय प्रक्रिया है* - भोजन जब समक्ष थाली में आ जाये, तो थोड़ा जल हाथ में लेकर तीन बार गायत्री मंत्र मन ही मन बोलकर उसपर छिड़क दें या केवल थाली का स्पर्श कर लें, इससे भोज्य पदार्थ अभिमंत्रित हो जाएगा, उसका सूक्ष्म संशोधन हो जाएगा, साथ ही अन्न की प्राण ऊर्जा को सक्रिय कर दें( Activate the positive vibration using mantra.)
👇
अन्न ग्रहण करने से पहले विचार मन मे करना है, श्रेष्ठ जीवन हेतु से इस शरीर का रक्षण पोषण करना है।
हे परमेश्वर एक प्रार्थना नित्य तुम्हारे चरणो में लग जाये तन मन धन मेरा
विश्व धर्म की सेवा में ॥
ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्विषावहै ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:: ॥
भोजन कभी भी टीवी इत्यादि देखते नहीं करना चाहिए। क्योंकि टीवी में अशुभ व व्यर्थ के शब्द भोजन की ऊर्जा को नकारात्मक बना देते हैं।
हमेशा भोजन शांत चित्त व उत्तम मनोदशा में करें। यदि छोटे बच्चे को भोजन करवा रहे हैं तो भी अपनी मनःस्थिति उत्तम रखें। भोजन के वक्त शरीर के साथ साथ मन भी उपलब्ध होना चाहिए। तभी पाचन उत्तम व शरीर को ऊर्जा मिलेगी।
भोजन को अभिमंत्रित अन्य शुभ मंत्रो से भी किया जा सकता है जैसे गीता के श्लोक, महामृत्युंजय मंत्र, दुर्गा मन्त्र, गणेश मन्त्र इत्यादि। किसी भी शुभ मन्त्र से अभिमंत्रित हो सकता है। हम गायत्री मंत्र का प्रयोग करते हैं, अतः हमने उदाहरण में गायत्री मंत्र लिया है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर - जैसे किसी भी वस्तु को खाने या पकाने से पहले स्थूल रूप में धोया जाता है। वैसे ही हमारे शास्त्र व ऋषि परम्परा कहती हैं कि भोज्य पदार्थ को ग्रहण करने से पहले उसका सूक्ष्म संशोधन भी अनिवार्य है।
मनुष्य की तरह ही , अन्न का भी स्थूल व सूक्ष्म भाग होता है। स्थूल भाग के पाचन से शरीर बनता है, सूक्ष्म भाग के पाचन से मन बनता है।
जैसा खाओ अन्न वैसा होवे मन।
अभिमंत्रित करना - अर्थात मंत्र द्वारा भोजन के सूक्ष्म का संशोधन, शुद्ध व पवित्र करना। अन्न के भावों का शोधन।
*अतिउत्तम प्रथम प्रक्रिया है* - बलिवैश्व यज्ञ, घर में जो भी भोजन बने, उसको थोड़ा सा गायत्रीमंत्र की पँच बलिवैश्व आहुतियों से गैस पर ही सूक्ष्म यज्ञ के माध्यम से बलिवैश्व यज्ञ द्वारा यज्ञाग्नि को अर्पित कर दें। इससे भोजन यज्ञ प्रसाद बन जाता है, अन्न संशोधित हो जाता है।
*उत्तम द्वितीय प्रक्रिया है* - भोजन जब समक्ष थाली में आ जाये, तो थोड़ा जल हाथ में लेकर तीन बार गायत्री मंत्र मन ही मन बोलकर उसपर छिड़क दें या केवल थाली का स्पर्श कर लें, इससे भोज्य पदार्थ अभिमंत्रित हो जाएगा, उसका सूक्ष्म संशोधन हो जाएगा, साथ ही अन्न की प्राण ऊर्जा को सक्रिय कर दें( Activate the positive vibration using mantra.)
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अन्न ग्रहण करने से पहले विचार मन मे करना है, श्रेष्ठ जीवन हेतु से इस शरीर का रक्षण पोषण करना है।
हे परमेश्वर एक प्रार्थना नित्य तुम्हारे चरणो में लग जाये तन मन धन मेरा
विश्व धर्म की सेवा में ॥
ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्विषावहै ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:: ॥
भोजन कभी भी टीवी इत्यादि देखते नहीं करना चाहिए। क्योंकि टीवी में अशुभ व व्यर्थ के शब्द भोजन की ऊर्जा को नकारात्मक बना देते हैं।
हमेशा भोजन शांत चित्त व उत्तम मनोदशा में करें। यदि छोटे बच्चे को भोजन करवा रहे हैं तो भी अपनी मनःस्थिति उत्तम रखें। भोजन के वक्त शरीर के साथ साथ मन भी उपलब्ध होना चाहिए। तभी पाचन उत्तम व शरीर को ऊर्जा मिलेगी।
भोजन को अभिमंत्रित अन्य शुभ मंत्रो से भी किया जा सकता है जैसे गीता के श्लोक, महामृत्युंजय मंत्र, दुर्गा मन्त्र, गणेश मन्त्र इत्यादि। किसी भी शुभ मन्त्र से अभिमंत्रित हो सकता है। हम गायत्री मंत्र का प्रयोग करते हैं, अतः हमने उदाहरण में गायत्री मंत्र लिया है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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