बहु के सर पर पल्ला हो न हो इसकी परवाह मत करो, बहु के सर पर तुम्हारा प्यार भरा हाथ है कि नहीं उसकी परवाह करो। यदि तुमने बहु को अपनी सन्तान की तरह प्रेम नहीं किया तो उसके अंदर तुम्हारे लिए प्रेम कैसे पनपेगा। मन से मन की राह होती है। प्रेम से तो भगवान भी बन्धता है, तो भला बहु किस कदर प्रेम से बन्ध न सकेगी। किचन का मोह त्याग दो, तभी तुम झगड़ो से बच सकोगी। माना तुम अपने पुत्र की पसन्द -नापसन्द समझती हो, लेकिन अब वह बहु को समझने दो। बच्चे पहले गिरा सम्हला तभी तो चला, ऐसे ही बहु को गलतियाँ कुछ करने दो व स्वतः सम्हलने दो। मित्र बनो और खुशियां बिखेरो। तुम्हारा पुत्र तभी तक तुम्हारी हाँ में हाँ मिलाएगा जब तक वह पिता नहीं बन जाता। पिता बनते ही वह सन्तान के मोह में इस क़दर बंधेगा कि वह भूल जाएगा कि वह खुद भी तुम्हारी सन्तान है। अतः सभी रिश्ते समय के साथ बदलते हैं, यह संसार परिवर्तन शील है। परिवर्तन स्वीकार लें, यदि थोड़ी समझदारी व संयम से काम लें तो घर में महाभारत होने से रोक सकती हैं। जो निर्णय पहले घर मे आप लेती थीं वह अब बहु की सहमति से लें। स्वयं को घर मे गृहस्थ से सन्यासी की भूमिका में ढालना शुरू कर दें। मोह के अत्यधिक बन्धन में न पड़े। घर को बहु को सम्हालने दें। बेटे बहु के झगड़े के बीच में कदापि न बोलें। वह दोनों लड़ेंगे और दूसरे दिन पुनः एक हो जाएंगे। लेकिन आपके बोलने से आप ही बेवजह फंस जाएंगी। बेटे को और स्वयं को बेटे के विवाह से पूर्व मानसिक रूप से निम्नलिखित परिस्थितियों के लिए तैयार कर लें:-
1- यदि बहु झगड़ालू हुई तो क्या करना है कैसे सम्हालना है?
2- यदि बहु अच्छे स्वभाव की हुई तो कैसे रहना है?
3- यदि बहु सास ससुर से अलग रहने की जिद की तब क्या करना है?
4- यदि बहु साथ रहेगी तो कैसे रहना है?
5- किन मामलों में कैसे व क्या हैंडल घर की सुख शांति के लिए करना है। यह पूर्वयोजना बना लें तो बेहतर रहेगा।
सोचो और भगवान से अच्छे के लिए प्रार्थना करो, लेकिन मन को बुरे वक्त के लिए भी तैयार रखो।
सफर में होटल में खानां मिल जाएगा यह सोचना अच्छा है, लेकिन साथ मे लंबे सफर में हमेशा विपरीत परिस्थिति की तैयारी करके चलनी चाहिए, घर से ही भोजन की व्यवस्था कर लेनी चाहिए।
जीवन के सफर में सोचो कि बहु व बेटे सेवा करेंगे वृद्धावस्था में ठीक है, लेकिन यदि उन्होंने सेवा करने से इंकार कर दिया तो वृद्धावस्था हेतु इतना धन अवश्य रखें कि दो समय का भोजन, दवा और रहने के लिए मकान की व्यवस्था अवश्य कर लें।
फौज की तरह प्रत्येक परिस्थति के लिए स्वयं को मानसिक रूप से मजबूत बनाएं।
बहु चीनी हुई तो दूध में चीनी की तरह रिश्ते मिठास बढ़ाएगी। बहु यदि निम्बू हुई तो दूध में निम्बू पड़ने की तरह रिश्तों को फाड़ देगी। तब वही सास वृद्धावस्था में सुखी रह पाएगी जो फटे दूध का पनीर बनाना जानती है, अर्थात जो रिश्ते फटने व टूटने पर अब क्या करना है जानती है। जिसके लिये वह पूर्व तैयार थी।
💐श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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