Sunday 9 August 2020

आधी ग्लास भरी व आधी ग्लास खाली है,

 आधी ग्लास भरी व आधी ग्लास खाली है,

सृष्टि में कहीं रेत तो कहीं हरियाली है,

सुख दुःख तो लहरों की तरह आते व जाते हैं,

फ़िर भी कर्मयोगी यहाँ हरपल मुस्कुराते हैं।


दूसरों की थाली का भोजन मत देखो,

जो है अपनी थाली में बस उसके स्वाद में डुबो,

दूसरे की थाली से भूख न मिटेगी,

अपनी ही थाली से भाइयों-बहनों शक्ति मिलेगी।


स्वयं के सामर्थ्य व बुद्धि को बढ़ाओ,

अपने लक्ष्य की ओर बस बढ़ते जाओ,

हमेशा हंसते मुस्कुराते चले जाओ,

जीवन सङ्गीत को गाते गुनगुनाते जाओ।


कोई कितना आगे या कोई कितना पीछे,

इसमें मत उलझो,  दूसरों को देख मत जलो,

बस कल से आज स्वयं को बेहतर बनाओ,

कुछ न कुछ रोज नया सीखते चले जाओ।


💐श्वेता चक्रवर्ती

डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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