Friday 14 August 2020

स्त्रियों को गुलामी के बन्धन में किसने डाला?

 *स्त्रियों को गुलामी के बन्धन में किसने डाला?*


त्रिदेव व त्रिदेवियाँ - ब्रह्मा जी को सृजन हेतु सहयोग करती ज्ञान बल से माँ  सरस्वती, भगवान विष्णु को सृष्टि के संचालन में धनबल से सहयोग करती माँ लक्ष्मी और देवाधिदेव महादेव को संसार के परिवर्तन चक्र और असुरता के विध्वंस हेतु शक्तिबल से सहयोग करती माँ दुर्गा।


याज्ञवल्कय ऋषि को यज्ञ अनुसंधान में सहायता करती उनकी महा विदुषी  पत्नियां मैत्रेयी व गार्गी।


हिन्दू सनातन धर्म में कभी भी लड़कियों अयोग्य नहीं रखा गया था, फ़िर ऐसा क्यों हुआ कि मध्यकाल में स्त्रियों की इतनी दुर्गति हुई। दहेज प्रथा जैसी कुवृत्तियों व कुप्रथाओं की शुरुआत हुई?


केवल पुत्रो को योग्य बनाया और उन्हें शस्त्र व शास्त्र दिया। किंतु लड़कियों के हाथ से शास्त्र व शस्त्र दोनों क्यों छीन लिया।


हमारा देश तो कभी भी कायर नहीं था, सभी देवी देवता शस्त्र व शास्त्र दोनो से सुसज्जित थे। हमारा देश 41% विश्वव्यापार में हिस्सेदार था। किस षड्यंत्र कर्ता ने हमारे देश की आधी जनसंख्या स्त्रियों को पिछड़ा व अयोग्य बनाने की साजिश रची?


सँस्कार व योग्यता स्त्री व पुरुष दोनों को बराबर दिया जाना चाहिए। दोनों योग्य होंगे तभी परिवार व देश दोनो तरक़्क़ी कर सकेंगे।


भावनात्मक रूप से आत्मनिर्भर, योग्य व आर्थिकनिर्भर लड़की के मातापिता को उसके विवाह व विवाह के बाद उसके जीवन की चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ती। 


बड़ी सोच व प्रयास से समस्या हल होगी। समस्त समाज को लड़कियों के प्रति अपने दृष्टिकोण की मरम्मत करनी होगी। लड़कियों को स्वयं अपने लिए मेहनत करनी होगी तभी समाज व्यवस्थित हो सकेगा।


चार मनचले लड़के और सुनसान रोड में खड़ी लड़की समस्या नहीं है। आम लड़की को वो मनचले लूटेंगे। जबकि सैनिक लड़की हुई तो वो उन चार लड़कों को कुटेगी, पिटेगी और पिसेगी। थाने ले जाकर ठोकेगी। 


समस्या की जड़ लड़कों के माता पिता है जिन्होंने लड़को को शुभ सँस्कार नहीं दिए। ऐसे मनचलों के माता पिता से ज्यादा ग़लती उस लड़की के माता पिता की है जिन्होंने अपनी बेटी को स्वयं की सुरक्षा हेतु मजबूत दुर्गा जैसे नहीं बनाया।


वस्तुतः गाली और सामाजिक बहिष्कार तो लूटेरों का होना चाहिए, जो लूट का शिकार हुए उन्हें तो समाज को सहयोग करना चाहिए। मग़र वर्तमान समाज की समस्या यह है कि यदि लड़की की इज्जत लूटी गई लोग उस लड़की को ही दोष देते हैं व अपमानित करते हैं, लेक़िन समाज उन इज्जत के लुटेरों को सामाजिक दण्ड नहीं देता, उन्हें अपमानित नहीं करता।


समाज के दृष्टिकोण के मरम्मत की जरूरत है, लड़की के माता पिता को बेटी को दुर्गा समान सर्वसमर्थ गढ़ने की जरूरत है। लड़की को स्वयं को योग्य बनाने के लिए मेहनत करने की जरूरत है। समाज को लड़की की मदद के लिए एकजुट होना होगा।


जो लड़का कुकर्म करे उसके लिए कानूनी कार्यवाही जब होगी तब होगी, समाज पहले कार्यवाही करते हुए उसका हुक्का पानी बन्द कर दें।


यदि कोई लड़की किसी लड़के पर झूठा आरोप लगाए व ब्लैकमेल करे तो उस लड़की पर भी सामाजिक कार्यवाही हो। 


राजा विक्रमादित्य के समय की तरह समाज को जागरूक होना पड़ेगा। तभी कोई भी अत्याचार किसी पर कर न सकेगा।


 तभी देश पुनः सुखी व समृद्ध बन सकेगा।


🙏🏻श्वेता, DIYA

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