Saturday 29 August 2020

मुझे जानना है...पहचानना है, मैं हूँ कौन? मैं हूँ कौन?

 मुझे जानना है...पहचानना है,

मैं हूँ कौन? मैं हूँ कौन?

कहाँ से आया हूँ, कहाँ जाऊँगा?

स्वयं से प्रश्न पूँछता रहता हूँ..

मैं हूँ क्या? मैं हूँ कौन?

इस शरीर में रहने वाला,

मैं हूँ कौन? मैं हूँ कौन?


अरे दर्पण में जो दिखता है,

वह मैं नहीं हूँ,

दुनियाँ ने मुझे जिस नाम से पहचाना है,

वह मैं नहीं हूँ,

अब तक जो सोचा है समझा है,

 वो मैं नहीं हूँ

लोगों की नज़रों ने,

मुझको यहाँ जो भी माना है,

 वो मैं नहीं  हूँ,

यह शरीर "मैं" नहीं हूँ, 

यह मन भी "मैं" नहीं हूँ,

माता-पिता की दी पहचान भी "मैं" नहीं हूँ,

मुझे जानना है...मैं हूँ कौन? मैं हूँ कौन?


"मैं"अनन्त यात्री हूँ,

शरीर बदलता रहता हूँ,

शरीर में रहता हूँ, पर शरीर "मैं" नहीं हूँ,

मन से सोचता हूँ, पर मन "मैं" नहीं हूँ,

जो दर्पण में दिखता नहीं, "मैं" वही हूँ,

जिसके शरीर छोड़ने पर,

चिकित्सक शरीर को मृत घोषित कर देते हैं,

वह ऊर्जा जिससे शरीर जीवित है, "मैं" वही हूँ, 

जो श्वांस के बन्धन शरीर को चलाता है, "मैं" वही हूँ,

इसे जानो या ना जानो, यह है तभी जीवन है

मुझे जानना है...मैं हूँ कौन? मैं हूँ कौन?



मैंने कई शरीर कई जन्मों में बदला है,

यह "शरीर" दृश्य है, "मैं" अदृश्य हूँ, 

जैसे "बल्ब" दृश्य है, "विद्युत" अदृश्य है,

दुनिया ने जो समझाया मुझे,

वह "मैं" नहीं हूँ, 

जो इंद्रियों से परे है,

हां "मैं" वही हूँ,

जैसे जल के अंदर मछली,

मछली के अंदर जल है,

वैसे "ब्रह्म" के अंदर "मैं" हूँ,

और मेरे अंदर वह "ब्रह्म" है,

उसे जाना तो भी स्वयं को जान जाऊंगा,

यदि स्वयं को जाना तो उसे भी जान जाऊँगा,


यदि मैं वही हूँ तो वह कौन है?

इस शरीर के भीतर वह ब्रह्म अंश कौन है?

जीवन का अब एक ही लक्ष्य है,

मुझे जानना है...पहचानना है,

मैं हूँ कौन? मैं हूँ कौन?



🙏🏻श्वेता, DIYA

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