*एको$हम - सो$हम- शिवो$हम*
एको$हम - सो$हम - शिवो$हम,
वही मैं हूँ, वही तुम हो,
तुम ही मैं हूँ, मैं ही तुम हो,
तत्व दृष्टि से देखो,
तुम ही मैं हूँ, मैं ही तुम हो,
एक ही आत्मद्रव्य भरा है सबमें,
एक ही ज्योति का प्रकाश उतरा है सबमें,
जागोगे तो पाओगे,
हम तुम समस्त जीव एक ही तो हैं।
सुनार की दुकान में,
ग्राहक के लिए,
सब अलग अलग आभूषण हैं,
उनके अलग अलग नाम है,
क्रमशः अँगूठी, चैन, पायल, हार, कमरबंद इत्यादि है,
सोनार की तत्वदृष्टि से देखो,
सब मात्र स्वर्ण है,
सबके भीतर एक ही तत्व है,
सब वस्तुतः एक ही तो हैं,
सब स्वर्ण ही तो हैं।
कुम्हार की दुकान में,
ग्राहक के लिए,
सब अलग अलग बर्तन हैं,
उनके अलग अलग नाम है,
क्रमशः मटका, अंगीठी, खिलौना इत्यादि है,
कुम्हार की तत्वदृष्टि से देखो,
सब मात्र मिट्टी के सूखे लोंदे है,
सबके भीतर एक ही तत्व है,
सब वस्तुतः एक ही तो हैं,
सब मिट्टी ही तो हैं।
प्लास्टिक की दुकान में,
ग्राहक के लिए,
सब अलग अलग फर्नीचर हैं,
उनके अलग अलग नाम है,
क्रमशः कुर्सी, टेबल इत्यादि है,
तनिक तत्वदृष्टि से देखो,
सब मात्र प्लास्टिक ही तो है,
सबके भीतर एक ही तत्व है,
सब वस्तुतः एक ही तो हैं।
सन्त जब जाग जाता है,
तब उसकी आंख में जमा,
मोह का कीचड़ साफ़ हो जाता है,
तब मेरा - पराया मिट जाता है,
तब तत्वदृष्टि के नेत्र खुल जाते हैं,
फ़िर सब एक ही नज़र आते हैं,
एको$हम - सो$हम - शिवो$हम,
सब तत्वतः दिखते है,
फिर भला किससे प्रेम व किससे नफ़रत,
जब कोई अलग ही नहीं है।
एको$हम - सो$हम - शिवो$हम,
वही मैं हूँ, वही तुम हो,
तुम ही मैं हूँ, मैं ही तुम हो,
तत्व दृष्टि से देखो,
तुम ही मैं हूँ, मैं ही तुम हो,
एक ही आत्मद्रव्य भरा है सबमें,
एक ही ज्योति का प्रकाश उतरा है सबमें,
जागोगे तो पाओगे,
हम तुम समस्त जीव एक ही तो हैं।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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