Tuesday 4 August 2020

भीतर अंतर्जगत में आओ, आत्मानन्द के झरने से, अपनी प्यास बुझाओ।

सुख-शांति की प्यास में,
अत्यंत त्रास में व्यथित हो तो,
बाहर मत भटको,
भीतर अंतर्जगत में आओ,
आत्मानन्द के झरने से,
अपनी प्यास बुझाओ।

ओश की बूंद से जैसे प्यास नहीं बुझती,
वैसे ही किसी भी नशे से सुख-शांति नहीं मिलती,
कोई भी बाह्य आनन्द का उपक्रम,
मात्र मृगतृष्णा है,
भटकाव और छलावा है,
प्यास बुझानी है,
तो अंतर्जगत में प्रवेश करो,
आत्मानन्द के झरने से,
अपनी प्यास बुझाओ।

ओह स्वयं की प्रसिद्धि चाहते हो,
सोचते हो जब प्रसिद्ध होंगे तो सुख शांति मिलेगी,
तो यह भ्रम अपने मन से निकाल दो,
जो प्रसिद्ध है उनके जीवन में झाँको,
वह भी सुख-शांति की तलाश में है।

ओह बहुत अमीर बनना चाहते हो,
सोचते हो जब अमीर होंगे तो सुख शांति मिलेगी,
तो यह भ्रम अपने मन से निकाल दो,
जो बहुत अमीर है उनके जीवन में झाँको,
वह भी सुख-शांति की तलाश में है।

बाह्य जगत की वस्तु व लाभ से,
सुख शांति भीतर न मिलेगी,
प्यास व त्रास बिल्कुल न मिटेगी,
सुख-शांति की प्यास में,
अत्यंत त्रास में व्यथित हो तो,
बाहर मत भटको,
भीतर अंतर्जगत में आओ,
आत्मानन्द के झरने से,
अपनी प्यास बुझाओ।

माना सहज आसान नहीं,
स्वयं के भीतर के आत्मानन्द के झरने को पाना,
निरन्तर अभ्यास व वैराग्य से,
निरन्तर मंत्रजप, ध्यान व स्वाध्याय से,
उस झरने तक अवश्य पहुंच जाओगे,
स्वयं के आनन्द स्त्रोत को जान पाओगे,
जन्म जन्मांतर की प्यास बुझ जाएगी,
जब आत्मानन्द के झरने से प्यास बुझाओगे।

🙏🏻श्वेता, DIYA

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...