जब भगवान कृष्ण ने,
अर्जुन से यह नहीं कहा कि तुम मेरा नाम जपो, और मैं तुम्हारा युद्ध व कार्य कर दूंगा। अपितु यह कहा - गांडीव उठाओ और अपना युद्ध करो, मैं तुम्हारे लिए हथियार नहीं उठाऊंगा। केवल तुम्हारा मार्गदर्शन करूंगा व सारथी बनूँगा।
फिर हम तुम यह मूर्खता क्यों करें कि भगवान से कहें कि आप मेरी समस्या का समाधान कीजिये या मेरी अमुक मनोकामना पूरी कर दीजिए। हम बस बैठकर आपका नाम जपेंगे और खुद कुछ न करेंगे।
हमें अर्जुन की तरह कृष्ण से कहना चाहिए, प्रभु हम आपकी शरण मे है, आपका नाम जपते हैं व आपका ध्यान करते हैं। मेरे बुद्धि रथ के सारथी बन जाओ और मेरा मार्गदर्शन करो कि मैं किस तरह योग्य बनूँ और अपने जीवन की समस्या का समाधान खुद कर सकूँ। स्वयं के लक्ष्य को प्राप्त कर सकूं।
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