प्रश्न - "किसी को कैसे पता चले कि कोनसा ध्यान उसके लिए सबसे उपयुक्त है??"
उत्तर- आत्मीय भाई, इस संसार में बहुत से व्यंजन है जिनसे भूख मिट जाती है।
इसीतरह इस संसार में बहुत से धारणा के माध्यम हैं जिनसे ध्यान घट जाता है।
या तो बुद्ध की तरह सम्यक ध्यान - विपश्यना अपना लें, या शंकराचार्य की तरह समाधिस्थ शंकर के ध्यान में खो जायें।
लाखों विधियां मार्ग है, लक्ष्य यह है कि किसी एक पर एकाग्र हो ध्यान का घटना।
मन को किसी एक विचार पर केंद्रित करना फिर उस विचार को भी छोड़ देना।
ध्यान घटने का साक्षी बन प्रतीक्षा करना। दूध में दही का जामन किसी भी गाय का डालो, वह जमेगा ही। मन रूपी दूध में ध्यान हेतु धारणा(जामन) किसी भी ईष्ट की डालो। ध्यान घटेगा और लाभ अवश्य मिलेगा।
शंकर पर ध्यान एकाग्र करो या चंद्रमा पर या गुरु पर या सूर्य पर या मात्र स्वयं की आती जाती श्वांसों पर, ध्यान की धारणा कोई भी चुनो। बस इतना ख्याल रहे कि विचारों के समूह घटकर कोई एक विचार मन में शेष रहे जिसे आपने चुना है।
अतः इस प्रश्न में उलझने में समय बर्बाद करना कि "मेरे लिए कौन सा ध्यान उत्तम है?" ठीक नहीं। अपितु इस पर विचार करें कि मैं मन को किसी एक विचार पर या किसी एक मनपसंद ईष्ट पर या आतिजाती श्वांस पर आधे से एक घण्टे स्थिर करने का प्रयास करूंगा।
ठहरो, जैसे हिलती हुई ग्लास में जल स्थिर न हो सकेगा, वैसे ही हिलते शरीर में ध्यान कैसे स्थिर होगा? अतः मन साधने से पूर्व शरीर को बिना हिले डुले एक जगह बैठने का अभ्यस्त कीजिये। फिर किसी एक विचार पर मन एकाग्र कीजिये। इतना कर लेने पर स्वतः पता चल जाएगा कि ध्यान क्या है? व कैसे घटेगा व कौन सा उत्तम है।
💐श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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