प्रिय बेटे,
लक्ष्यविहीन जीवन हो,
या मंजिलहीन यात्रा,
दोनों कहीं नहीं पहुँचती,
दोनो में भटकाव निश्चित है,
अस्थिरता सम्भावित है।
सर्वप्रथम सोचो,
तुम्हारी सांसारिक जीवन की मूलभूत आवश्यकता क्या है?
वह है रोटी, कपड़ा और मकान।
इसे अर्जित करने के लिए,
सांसारिक कमाई का साधन क्या चुनोगे?
किन माध्यमों से इन मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करोगे?
द्वितीय सोचो,
मानसिक जीवन की मूलभूत आवश्यकता क्या है?
ज्ञान, ध्यान, मानसिक कुशलता, खुशी व मन की मज़बूती,
इसे अर्जित करने के लिए,
ज्ञानार्जन का कौन सा साधन चुनोगे?
किन माध्यमों से मन की इन मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करोगे?
तृतीय सोचो,
आत्मिक मूलभूत आवश्यकता क्या है?
स्वयं को जानना - मैं क्या हूँ?
शांति, सुकून, आनन्द व स्थितप्रज्ञता पाना,
इस आध्यात्मिक सम्पदा को अर्जित करने के लिए,
कौन सा जप, तप, ध्यान, योग मार्ग चुनोगे?
किन माध्यमों से आत्मा की इन मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करोगे?
सोचो सोचो मेरे बच्चे,
सोचोगे तभी तो कुछ सीखने की चाह जगेगी,
कुछ कर गुजरने की आस जगेगी,
कुछ अन्तः ज्ञान श्रोत खुलेंगे,
कुछ महान जीवन के जीवन लक्ष्य मिलेंगे।
बड़ी सफलता की शुरुआत,
बड़ी सोच से होती है,
साहस भरे कदमों से,
बड़े लक्ष्य की पूर्ति होती है।
जब सही जीवन लक्ष्य मिलेगा,
तब तुम उसे प्राप्त करने हेतु योजना बना सकोगे,
कब क्या क्यों कैसे पर विचार कर सकोगे,
कुछ न कुछ जीवन मे बेहतर कर सकोगे।
🙏🏻तुम्हारी माँ,
श्वेता चक्रवर्ती
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