प्रश्न - सफर में या समारोह में कोई अंजान अपना या किसी को देखकर बुरा क्यों महसूस होता है? जबकि हमने उनसे बात भी नहीं की और हम उन्हें जानते भी नहीं।
उत्तर - हम केवल स्थूल इंद्रियों मुंह व कान से सम्वाद नहीं करते, अपितु हमारी सूक्ष्म इंद्रियां भी सम्वाद करती हैं जो नज़र तो नहीं आता मग़र सम्वाद होता है। हमारा औरा दूसरे के औरा के सम्पर्क में आते ही हृदय को सन्देश देता है। आत्मा पूर्वजन्म के सम्बन्धियो को महसूस कर लेती है।
उदाहरण - जब आप ट्रेन में यात्रा कर रहे हो या किसी अनजान से किसी विवाह - समारोह में मिल रहे हो। जिसकी हृदयगत भावनाएं व औरा आपसे मेलजोल खाता होगा या जो आपका पूर्वजन्म का मित्र होगा। वह आपको अपना सा लगेगा।
जो पिछले जन्म का शत्रु होगा या आपके लिए मन मे दुर्भाव रखता होगा। वह अंजान आपको बिल्कुल अच्छा न लगेगा। उसके समीप कुछ बेचैनी महसूस होगी।
बाकी सामान्य लोगो को देखकर कुछ अच्छा या बुरा, अपना या पराया जैसा कोई भाव नहीं जगेगा।
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