Saturday 10 October 2020

उठो! अपनी मदद स्वयं करो।

 उठो! अपनी मदद स्वयं करो।


बैसाखी का सहारा मत ढूढों,

अपने मन को मजबूत करो,

उठो! अपने पैरों पर चलो।


दूसरों से मदद की अपेक्षा मत रखो,

स्वयं ही स्वयं की मदद करो,

उठो! तन मन धन से सच्चा प्रयत्न करो।


विवेकानंद विदेशी धरती पर,

अकेले जाने से नहीं डरे,

लोगों के अपमान व गलियों से,

वह बिल्कुल नहीं डिगे,

स्वयं ही स्वयं को सम्हालकर,

विदेशी धरती पर गुरु के सन्देश वाहक बने।


याद रखो, मंजिलें उन्हें मिलती है,

जो स्वयं पर भरोसा रखते हैं,

किसी भी परिस्थिति से मुकाबले के लिए,

स्वयं को तैयार करते हैं।


भगवान भी मदद उनकी करता है,

जो स्वयं पहले अपनी मदद करते हैं,

जो अनवरत स्वयं को,

ईश्वरीय अनुशासन में ढालते हैं।


अपनी सफ़लता -असफ़लता की,

जिम्मेदारी ख़ुद उठाओ,

स्वयं को ऊंचा उठाने के लिए,

स्वयं संकल्पित हो जाओ।


💐श्वेता चक्रवर्ती, DIYA

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