आध्यात्मिक दृष्टिकोण अपनाओ, जीवन जीना आसान बनाओ।
जिंदगी जीना न पहले कठिन था न अब कठिन है। समस्या की जड़ मनुष्य की अनन्त इच्छाओं का जाल है, जिनकी पूर्ति में इंसान दूसरे मनुष्य को और प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है।
सरल सहज जीवन मन को नियंत्रित करके जंगल मे भी मंगल मनाते हुए जिया जा सकता है, संसार मे भी आनन्द में जिया जा सकता है।
इच्छाएं अनन्त हैं, मरने वाला चंद सांसें चाहता है, लंगड़ा को पैर चाहिए, पैर वाले को साइकिल, साइकिक वाले को बाइक, बाइक वाले को कार, और कार वाले को प्राइवेट जेट इसीतरह जो जिसके पास नहीं बस वही उसे चाहिये। जो है उसका कोई मोल नहीं, जो ईश्वर ने दिया उसका कभी आभार व्यक्त नहीं किया।
आधी ग्लास भरी व आधी खाली है, सकारात्मक दृष्टिकोण से आधा भरा है, नकारात्मक दृष्टिकोण से आधा खाली है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से आधा जल से व आधा हवा से भरा है।
नजरिया बदलो, नजारे स्वतः बदल जाएंगे।
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