Thursday 15 October 2020

भयमुक्त होने का आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक प्रयोग:-

 भयमुक्त होने का आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक प्रयोग:-


जिस प्रकार डरावना स्वप्न से जागने पर भय मुक्त हो जाया जाता है, वैसे ही दिन में मन द्वारा बुने डरावनी कल्पनाओं से मुक्ति होश में और अवेयरनेस स्टेज में आते ही हो जाती है। 

डर अर्थात जो अभी घटित नहीं हुआ है, उसकी कल्पना करना। क्योंकि जो घटित हो जाता है वह तथ्य है।

डर की कल्पना मन कर रहा है, डर से मुक्ति भी मन ही देगा। डरावने विचार भय उतपन्न करते हैं, तो साहस भरे विचार भय से मुक्ति दे देते हैं।

एक प्रयोग कीजिये, मन की कल्पनाओं पर नज़र रखिये, जैसे ही मन नकारात्मक व भययुक्त कल्पना करें तुरंत हनुमानजी का स्मरण कीजिए। इस विश्व के आध्यात्मिक सुपर हिरो भगवान हनुमानजी की चालीसा पढ़िये, उनकी साहस गाथा चालीस पदों की चालीसा रूप में तुलसीदास जी ने लिखी है। मन में साहस की प्रोग्रामिंग करने हेतु 108 दिन तक स्वयं में हनुमानजी का आह्वाहन कीजिये, ध्यान धारणा कीजिये कि आप में हनुमानजी की शक्ति प्रवेश कर गयी है। यह आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक प्रयोग मन को भयमुक्त कर देगा। 


💐श्वेता, DIYA

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...