Saturday 17 October 2020

प्रश्न - जब जीवन दिशाहीन लगे तो क्या करें?

 प्रश्न - जब जीवन दिशाहीन लगे तो क्या करें?


उत्तर - ध्यान दीजिए, प्रश्न जहां है उत्तर भी वहीं होता है। शरीर को भोजन नहीं दोगे तो वह साधारण कार्य भी न कर सकेगा, यदि उत्तम पौष्टिक भोजन व व्यायाम करोगे तो शरीर से असाधारण कार्य भी करवा सकोगे। इसी तरह मन है, मन को भी नित्य भोजन चाहिए। अच्छे विचारों का और अच्छी संगत का भोजन उसे दीजिये और ध्यान के माध्यम से मन का व्यायाम कीजिए। फिर देखिए आपका मन स्वतः आपको सही दिशा देगा, समस्त समस्या का समाधान आपके भीतर ही उभरेगा।

एक छोटा सा 40 दिन का आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक प्रयोग करके देखिए, फिर अपना अनुभव साझा कीजिये:-

1- नित्य एक अध्याय श्रीमद्भागवत गीता का पढ़िये, यह 40 दिन तक करना है। स्वयं को अर्जुन समझिए व कृष्ण भगवान के समक्ष अपनी उलझन, दिशाहीनता, व समस्या को मन ही मन रखिये।

2- गीता पढ़ते हुए ऐसा महसूस कीजिये, जैसे वर्तमान जीवन युद्ध हेतु आपकी बुद्धि एक रथ है और जगतगुरू भगवान कृष्ण उसके सारथी।

3- सुबह नहाकर जब भी पूजा करें ,तो दो आध्यात्मिक गवाह जल और अग्नि की उपस्थिति में कम से कम 324 गायत्री मंत्र(3 माला जपें) । जल देवता कलश में विराजमान होंगे, अग्निदेव दीपक में आएंगे। घी का दीपक ही जलाएं।

40 दिनों के इस प्रयोग से आपका मन अर्जुन की तरह प्रोग्रामिंग करने लगेगा। एकाग्र होकर किसी भी लक्ष्य को भेदने में सक्षम बनेगा। स्वयं के जीवन की उलझन तो सुलझेगी ही, स्वयं तो जीवन की दिशा मिलेगी ही, दूसरों का भी मार्गदर्शन कर सकेंगे। 

💐श्वेता, DIYA

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