प्रश्न - छोटे भाई की अकस्मात हार्ट अटैक से मृत्यु हो गयी। समझ नहीं आ रहा क्या करूँ?
उत्तर - हमारे आत्मीय,
आपके भाई की अकस्मात हार्टअटैक से मृत्यु का शोक हृदयविदारक है, हमारी पूरी संवेदना आपके साथ है। इस शोक से अपने हृदय को मुक्त कीजिये। प्रत्येक आत्मा कितने दिन हमारे साथ रहेगी यह पूर्वनिर्धारित होता है, हम सब तय नहीं कर सकते किसी का जीवन कितना होगा और वह कब शरीर त्यागेगा।
अब देखो, कोरोना महामारी में लाखों लोग मर गए, न तुम किसी के जन्म के लिए जिम्मेदार बन सकते हो और न ही किसी की मृत्यु के लिए जिम्मेदार बन सकते। प्रत्येक पिता जीवन बचाने का प्रयास करता है, लेकिन जिस आत्मा के जाने का वक्त आ जाता है, उसे करोड़पति पिता भी नहीं बचा सकता। हम सब पूर्व जन्म में किसी के रिश्तेदार थे, वहां मरे तभी तो इस जन्म में जन्में। तुम्हारा छोटे भाई की आत्मा तुम्हारे लिए शोक का कारण बनी हुई है लेकिन वर्तमान में किसी के गर्भ में प्रवेश कर अपने नए माता पिता के सुख का कारण बन रही होगी। जैसे हमें और आपको पूर्व जन्म की याद नहीं तो उसे भी आप याद नहीं होंगे। अब उसे जब आप याद नहीं तो आप उसे याद करके परेशान मत होइए। नए जीवन व नए शरीर मे उसे नई जिंदगी जीने की शुभकामनाएं दीजिये।
कोई इस संसार मे न मरता हैं न ही जन्म लेता है। आत्मा तो वस्तुतः सिर्फ शरीर बदलती है।
सुख और दुःख जुड़े हुए हैं, कोई कहीं मृत्यु के कारण सुख देगा, वही कहीं जन्म के कारण सुख देगा।
अतः शोक मत कीजिये, स्वयं को सम्हालिये। संसार की नश्वरता और आत्मा की अमरता को समझते हुए स्वयं व परिवार जन को शोक से उबारिये।
उसके नाम पर कुछ दान पुण्य कर दीजिए, गरीब बच्चों में बिस्किट के पैकेट बांट दीजिये। उसकी याद को स्मृति चिन्ह में बदलने व उसे अक्षय पुण्य देने हेतु उसके नाम पर एक वृक्ष लगा दीजिये। सत्साहित्य वितरित कर दीजिए, उसकी मुक्ति के लिए श्रीमद्भागवत गीता का 18 दिन तक पाठ कर लीजिए। रोज एक अध्याय कर लीजिए।
💐श्वेता, DIYA
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