Tuesday 20 October 2020

तितली या मनुष्य कौन स्वप्न देख रहा है

 एक बार मैंने तितली पकड़ी। उसकी याद इतनी मन में बसी की रात को स्वप्न में देखा कि हम स्वयं तितली हैं, याद ही नहीं रहा की मनुष्य हैं। समस्त अनुभव तितली के थे। सुबह उठी तो स्वयं को मनुष्य पाया।

लेकिन एक प्रश्न मन में उठा - एक मनुष्य कल स्वप्न देख रहा था कि वह तितली है? या एक तितली आज स्वप्न देख रही है कि वह मनुष्य है?

स्वप्न में मुझे मनुष्य होने का भान नहीं था, इस संसार के स्वप्न में तितली को भी मनुष्य होने का भान नहीं है।

वेदों में कहा गया है कि यह संसार स्वप्न है। सत्य ही तो है, एक दिन स्वप्न टूटेगा और संसार से हम विदा होंगे।

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...