आख़िर कपड़ा क्यों फटता है? आखिर फल क्यों सड़ता है? आखिर मौत क्यों होती है?
एक ही उत्तर है, प्रत्येक निर्माण का विध्वंस सुनिश्चित है। आत्मा का वस्त्र शरीर है, जो हमारे वस्त्रों की तरह कभी न कभी फटेगा ही। हम जैसे पुराने कपड़े छोड़ नए वस्त्र धारण करते हैं। ऐसे ही आत्मा भी पुराने शरीर को छोड़ नया धारण करती है।
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