प्रश्न - क्या आप मानते हैं सबकुछ भाग्य पर निर्भर है?
उत्तर- जन्म व मृत्यु दो ऐसी व्यक्तिगत चीज़ें हैं जो भाग्य आधारित है। लेकिन मृत्यु में आप कुछ हद तक हस्तक्षेप कर सकते हैं, जैसे नशा करके स्वयं की आत्महत्या करना, समय से पूर्व शरीर को नष्ट करना।
रिश्तेदार कुछ भाग्य से कुछ पुरुषार्थ से बनते हैं। उनसे रिश्ता बनाना या तोड़ना भाग्य आधारित है।
प्राकृतिक बहुत सी चीज़े भाग्य आधारित है, जैसे वर्षा व आंधी-तूफ़ान। लेकिन कुछ हद तक मनुष्य का इस पर भी नियंत्रण हव। जैसे कम वर्षा क्षेत्र में जंगल उगाकर और यज्ञ करके बादलों को आकर्षित करके वर्षा करवाना। जहां हरियाली हो वहाँ जंगल की कटाई करके उस भूमि को बंजर बनाना। प्रदूषण फैलाकर प्रकृति चक्र को बाधित करना व ग्लोबल वार्मिंग करवाना। यह सब मनुष्य के कर्म द्वारा नियंत्रित है।
पाषण युग की चिड़िया हो या पशु उनका जीवन कम्प्यूटर युग मे नहीं बदला, वही भोजन व वही रहन सहन। मनुष्य पाषण युग मे पशुओं की तरह प्राकृतिक गुफाओं में रहता था व प्रकृति से जो मिल जाये उसे पशुवत कच्चा खाता था। पाषण युग से वर्तमान युग तक सवकुछ मनुष्य ने बदल डाला। बड़े छोटे भवन, कपड़े आभूषण, रहन सहन, विभिन्न पकवान यह सब मनुष्य ने स्वयं निर्मित किया। भगवान ने मनुष्य को केवल बुद्धि दी थी।
यदि यह परिवर्तन भगवान करता तो पशुओं व पक्षियों के लिए भी करता, वह किसी से पक्षपात नहीं करता। सबको कुछ न कुछ विशेष गुण मिला है, कोई उड़ सकता है तो कोई जल में रह सकता है। मनुष्य को बुद्धि मिली। वह हवाई जहाज से उड़ा, जल जहाज से जल पर अधिकार किया। मनुष्य कर्म करने में स्वतंत्र है।
अतः कुछ भाग्य आधारित है और बहुत कुछ कर्म आधारित है, निर्भर है।
💐श्वेता,DIYA
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