प्रश्न - क्या क्रोध पर नियंत्रण मुश्किल है?
उत्तर - क्रोध एक भावना है, अन्य भावनाओं की तरह यह भी मन में उठती है। बस समस्या यह कि इसकी अभिव्यक्ति जिस पर होती है उसे अप्रिय लगती है।
विचार प्रबंधन से क्रोध प्रबंधन सम्भव है, ध्यानस्थ हो बोलने से पहले सोच समझने के लिए धैर्य विकसित करने से क्रोध पर नियंत्रण सम्भव है।
क्रोध हमेशा अपने से बलवान व्यक्ति पर हम व्यक्त नहीं करते, अपितु क्रोध को निकालने के लिए हम अपने से कमज़ोर व्यक्ति को तलाशते हैं। उदाहरण - ऑफिस में बॉस के सामने चुप रहना व घर आकर वही गुस्सा बच्चे व पत्नी पर निकालना।
कुछ करने व कुछ पाने की चाह बलवती हो, मग़र अपेक्षित चाहते पूरी न हों तो इंसान चिड़चिड़ा हो जाता है, गुस्सा करने लगता है।
स्वास्थ्य खराब हो और हालत साथ न दे, फिर मजबूरी में कुछ करना पड़े तो भी इंसान चिड़चिड़ा हो जाता है, गुस्सा व भड़ास निकालता है।
योग्यता कम हो ख्वाईशें बड़ी हों, तो भी इंसान चिड़चिड़ा हो जाता है, बात बात पर गुस्सा करता है।
जब कोई चाहता है, सामने वाला उसकी समस्या व उलझन समझे, मग़र जब कोई समझता नहीं तो इंसान चिड़चिड़ा हो जाता है, गुस्सा करता है।
चिड़चिड़ापन क्रोध का एक अलग रूप होता है, इसमे व्यक्ति अशक्तता अनुभव करता है। इसलिए क्रोध का दावानल नहीं निकाल सकता, अतः भीतर दबे क्रोध व हताशा-निराशा को चिड़चिड़ापन की चिंगारी निकाल के व्यक्त करता है।
क्रोध से मुक्ति का उपाय है - अपनी जीवन की समस्या के समाधान में जुटना, अपनी ख्वाईशो से बड़ी योग्यता बनाना। ध्यान, प्राणयाम व अच्छी पुस्तको का स्वाध्याय करना।
याद रखिये, इंसान के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है। यदि ठान ले व सतत प्रयास करे तो मन पर नियंत्रण कर सकता है। क्रोध पर नियंत्रण स्वतः हो जाएगा।
क्रोध को होश पूर्वक कीजिये, तो होश क्रोध में कुछ गलत होने न देगा।
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