प्रश्न - हिन्दू विवाहित स्त्रियां सिंदूर क्यों लगाती हैं? इसके पीछे का आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक, वैज्ञानिक कारण क्या है?
उत्तर - विवाहित महिलाओं का सिन्दूर लगाना
भारत में महिलाएं शादी के उपरांत माथे के बीच में सिंदूर लगाती हैं, जो उनके श्रंगार का एक हिस्सा होता है। यह विवाह की एक निशानी होती है। सिन्दूर हल्दी-चूने और पारा धातु के मिश्रण से बना होता है इसलिए इसे लगाने से शरीर में ब्लड प्रेशर बना रहता है। सिन्दूर में पारा मिला होने के कारण यह शरीर को दबाव और तनाव से मुक्त रखने में मदद रखता है।
सिंदूर का लाल रंग हमारी इंद्रियों तथा भाव-भंगिमाओं को उत्तेजित करता है। यह शक्ति ऊर्जा तथा जीवन के प्रति उत्साह को दर्शाता है। सकारात्मक स्तर पर यह जीवन में ताकत, खुशी-सुख एवं प्रेम को देने वाला होता है, अग्नि का प्रमुख गहरा लाल रंग, मनुष्य की हृदयगत भावनाओं को जाग्रत कर देता है।
पति जब पत्नी के सिंदूर को देखता है, तो उसे जिम्मेदारी का अहसास भी होता है कि यह सिंदूर उसने भरा है, अतः यह पत्नी के जीवन में उत्साह, उमंग, उल्लास उसने बनाये रखने का सङ्कल्प याद दिलाता है।
यह लाल रंग कुदृष्टि रखने वालों को यह भी संकेत देता है कि विवाहित स्त्री पर कुदृष्टि तुम्हें भष्म कर सकती है।
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