अहंकार से निजात हेतु छोटा ध्यान प्रयोग
मनुष्य जब स्वयं को शरीर व स्वयं को माता पिता द्वारा दिये नाम से 'मैं' सम्बोधित करता है। तब वह अहंकार से ग्रसित हो जाता है। तब उसका सम्बन्ध समूह चेतना (collective consciousnes) से टूट जाता है। तब वह मतभेद को मनभेद के स्तर तक ले जाता है। मनभेद स्वयं को श्रेष्ठ व दूसरे को गौंड़ समझकर नफरत हेतु प्रेरित करता है।
इस अहंकार(ego) की समस्या से निजात-छुटकारा पाना चाहते हैं तो एक छोटा ध्यान प्रयोग कीजिये:-
गुलाब के पौधे में खिले गुलाब को देखिए, अब गुलाब का स्वतंत्र अस्तित्व तो है नहीं, वह डालियों से जुड़ा हुआ है। तो सूक्ष्म मानसिक चेतना द्वारा गुलाब के भीतर ध्यानस्थ हो प्रवेश कीजिये। गुलाब के फूल से उसकी डालियों में प्रवेश कीजिये, फिर उसकी जड़ो तक पहुंचिए। अरे यह क्या गुलाब के पौधे का अस्तित्व बिना जड़ो के नहीं है। अब जड़ो का अस्तित्व बिना मिट्टी के नहीं है। पौधे का वस्तुतः अस्तित्व जल, मिट्टी, हवा, आकाश और प्रकाश से है। अब पुनः चेतना को अपनी विराट अस्तित्व से जोड़िए। फिर समस्त मनुष्यो और स्वयं को देखिए - उनमें भी जल, मिट्टी, हवा, आकाश और प्रकाश सब मौजूद है। वस्तुतः कोई अलग नहीं है, सब एक जैसे तत्वों से बने हैं। सबके अंतर जो आत्म तत्व भरा है जिससे वह जीवित हैं, वह भी वस्तुतः एक ही परमात्मा से प्राप्त है। हम ब्रह्म के अंदर हैं वह ब्रह्म हमारे अंदर है। इसे कुछ क्षण महसूस शरीर से परे जाकर कीजिये।
पुनः अपनी चेतना को विराट से मिट्टी, फिर गुलाब की जड़ व टहनियों से होते हुए गुलाब तक ले आइये। अब आपको पता है कि आप और गुलाब वस्तुतः एक ही चेतना से जुड़े हो। आप और हर मनुष्य एक ही महाचेतना से जुड़े हो। आपका अस्तित्व उस महाअस्तित्व का अंग है।
विश्वास मानिए यह प्रयोग 40 दिन करके देखिए, फिर आप किसी से नफरत कर नहीं पाएंगे। प्रकृति के कण कण से जुड़ाव महसूस करेंगे। सबसे प्रेम करेंगे।
श्वेता, DIYA
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