प्रश्न - किस विचार ने आपकी दुनियाँ बदल दी?
उत्तर - हाँजी, एक विचार ने मेरी जिंदगी बदल दी - "अपना सुधार ही संसार की सबसे बड़ी सेवा है।" इसने मेरा जीवन देखने के प्रति नजरिया बदल दिया।
जैसे ही हमने दुनियाँ देखने का नज़रिया बदला हमारा तो जीवन ही बदल गया। तृतीय दृष्टि - ज्ञान दृष्टि से दुनियाँ देखने पर दुनियाँ खूबसूरत हो गयी है। मन शांत हो गया है।
पहले ऑफिस में थोड़ी थोड़ी बात पर तनाव ले लेते थे, झल्ला जाते थे। अब उन्हीं घटनाओं को बड़े आराम से हैंडल कर लेते थे।
पहले खराब बैट्समैन की तरह पिच, बॉलर, मैदान सबको दोष देते थे, बस स्वयं की गलती नहीं देखते थे। स्वयं को नहीं सुधारते थे, दुनियाँ को दोष देते रहते थे।
एक दिन युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी की लिखी पुस्तक - "दृष्टिकोण ठीक रखें" पढ़ी, समझ आया कि स्वयं पर काम करने की जरूरत है। जीवन संघर्ष है, यहां दुसरो को दोष देने की जगह स्वयं की बैटिंग सुधारो।
समस्या को मत कहो - why me
समस्या को कहो - try me
यह मत कहो - समस्या बड़ी है,
यह कहो - इस समस्या से बड़ा मेरा ईश्वर विश्वास है, और भगवान की दी हुई मेरी बुद्धि है। मैं मेरी बुद्धिकुशलता को निरन्तर बढ़ाऊँगा। समस्या से बड़ी मेरी बुद्धिकुशलता बनाऊंगा।
मैं मनुष्य हूँ, ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति हूँ। वीडियो गेम की तरह ही जीवन की समस्याओं का गेम है। एक चरण पार करो तो दूसरे चरण की कठिनाई मिलती है।
जैसे स्वस्थ मन से बच्चा खेल खेलता है, वैसे ही मैं यह जीवन को खिलाड़ी के नजरिये से खेलूंगा। प्रत्येक समस्या का बहादुरी से सामना कर उसका समाधान करूंगा।
इस समस्या को मुझसे बेहतर कोई हल नहीं कर सकता। मैं इसे हल कर सकता हूँ। ईश्वर मेरे साथ मेरे पास है। मैं अर्जुन हूँ, अपना युद्ध अवश्य लड़ूंगा।
चाहे कुछ भी हो जाये, हार नहीं मानूंगा,
काल के कपाल पर, अपनी विजय गाथा अवश्य लिखूंगा।
मैं विजेता था, विजेता हूँ, विजेता रहूंगा।
कभी भी मन से हार नहीं मानूंगा,
हार जीत की परवाह किये बिना,
प्रत्येक जीवन अवश्य युद्ध लड़ूंगा।
एक विचार ने मेरी जिंदगी बदल दी - "अपना सुधार ही संसार की सबसे बड़ी सेवा है।"
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