Tuesday 13 October 2020

रोग से परेशान लोग शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करने हेतु निम्नलिखित अनुष्ठान शारदीय नवरात्रि में करें

 *रोग से परेशान लोग शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करने हेतु निम्नलिखित अनुष्ठान शारदीय नवरात्रि में करें-*


स्वास्थ्यलाभ के लिए 9 दिन तक 9 माला नित्य गायत्री मन्त्र जप व एक-एक माला निम्नलिखित दुर्गा मन्त्र की जप लें। समस्त स्वास्थ्य के संकट दूर हो जाएंगे। कुल 12 माला जपनी होगी (9 + 1 + 1 + 1)


नौ माला नित्य गायत्री मंत्र जप - 


👉🏻 *ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात।* 👈🏻


एक माला मृत्युंजय सौभाग्य मन्त्र -

👉🏻 *ॐ जूं सः माम् भाग्योदयं कुरु कुरु स: जूं ॐ* 👈🏻


*स्वास्थ्य मार्ग की सर्व बाधा निवारण हेतु नित्य एक माला मन्त्र* -


👉🏻 *सर्वा बाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन, भविष्यति न शंसयः॥* 👈🏻



एक माला महामृत्युंजय मंत्र की रोगमुक्ति हेतु - 

*ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।*

*उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥*


कुछ क्षण ईश्वर का ध्यान कीजिये, फिर भावना मन्त्र के एक एक वाक्यों को ध्यान से बोलिये व महसूस कीजिये।


👉🏻🌹🌹 *ध्यानस्थ होकर निम्नलिखित भावना मन्त्र एक बार बोलिये* 🌹🌹👈🏻

निम्नलिखित याद कर लें, आंखे बंद करके सोचते हुए मन ही मन दोहराने से अधिक लाभ मिलेगा।


"मेरे रक्त का रंग खूब लाल है, यह मेरे उत्तम स्वास्थ्य का द्योतक है। इसमें अपूर्व ताजापन है। इसमें कोई विजातीय तत्व नहीं है, इस रक्त में प्राण तत्व प्रवाहित हो रहा है। मैं स्वस्थ व सुडौल हूँ और मेरे शरीर के अणु अणु से जीवन रश्मियाँ नीली नीली रौशनी के रूप में निकल रही है। मेरे नेत्रों से तेज और ओज निकल रहा है, जिससे मेरी तेजस्विता, मनस्विता, प्रखरता व सामर्थ्य प्रकाशित हो रहा है। मेरे फेफड़े बलवान व स्वस्थ हैं, मैं गहरी श्वांस ले रहा हूँ, मेरी श्वांस से ब्रह्मांड में व्याप्त प्राणतत्व खीचा जा रहा है, यह मुझे नित्य रोग मुक्त कर रहा है। मुझे किसी भी प्रकार का रोग नहीं है, मैं मेरे स्वास्थ्य को दिन प्रति दिन निखरता महसूस कर रहा हूँ। यह मेरी प्रत्यक्ष अनुभूति है कि मेरा अंग अंग मजबूत व प्राणवान हो रहा है। मैं शक्तिशाली हूँ। आरोग्य-रक्षिणी शक्ति मेरे रक्त के अंदर प्रचुर मात्रा में मौजूद है।"


"मैं शुद्ध आत्मतेज को धारण कर रहा हूँ, अपनी शक्ति व स्वास्थ्य की वृद्धि करना मेरा परम् लक्ष्य है। मैं आधिकारिक शक्ति प्राप्त करूंगा, स्वस्थ बनूँगा, ऊंचा उठूँगा। अब मैं समस्त बीमारी और कमज़ोरियों को परास्त कर दूंगा। मेरे भीतर की चेतन व गुप्त शक्तियां जागृत हो उठी हैं। मैं अपने जीवन में सफ़लता के मार्गपर अग्रसर हूँ। मैं अपनी समस्त समस्याओं के समाधान हेतु सक्षम बन गया हूँ।"


"अब मैं एक बलवान शक्ति पिंड हूँ, एक ऊर्जा पुंज हूँ। अब मैं जीवन तत्वों का भंडार हूँ। अब मैं स्वस्थ, बलवान और प्रशन्न हूँ।"


निम्नलिखित सङ्कल्प मन में पूर्ण विश्वास से दोहराईये:-


1- मैं त्रिपदा गायत्री की सर्वशक्तिमान पुत्र/पुत्री हूँ।

2- मैं बुद्धिमान, ऐश्वर्यवान व बलवान परमात्मा का बुद्धिमान, ऐश्वर्यवान व बलवान पुत्र/पुत्री हूँ।

3- मैं गायत्री की गर्भनाल से जुड़ा/जुड़ी हूँ और माता गायत्री मेरा पोषण कर रही हैं। मुझे बुद्धि, स्वास्थ्य, सौंदर्य व बल प्रदान कर रही है।

4- मैं वेदमाता का वेददूत पुत्र/पुत्री हूँ। मुझमें ज्ञान जग रहा/रही है।

5- जो गुण माता के हैं वो समस्त गुण मुझमें है।

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फिर गायत्रीमंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।* बोलते हुए दोनों हाथ को आपस मे रगड़िये। हाथ की हथेलियों को आंखों के उपर रखिये धीरे धीरे आंख खोलकर हथेलियों को देखिए। फिर हाथ को पहले चेहरे पर ऐसे घुमाइए मानो प्राणतत्व की औषधीय क्रीम चेहरे पर लगा रहे हो। फिर हाथ को समस्त शरीर मे घुमाइए।


शांति मन्त्र नित्य मात्र तीन बार  बोलिये,  सबके स्वास्थ्य और आरोग्य के लिए दोहराइये:-


*सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,*

*सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।*

*ॐ शांतिः शांतिः शांतिः*


सभी मुझे मित्रवत देखें, और मैं सबको मित्रवत देखूँ। मैं जिसे देखूँ उसका कल्याण हो, जो मुझे देखे तो मेरा भी कल्याण हो। सभी सुखी हों, सबका उज्ज्वल भविष्य हो।


मेरे मन में किसी के लिए कोई राग, द्वेष और वैर भाव नहीं है। मेरे सभी मित्र हैं, मैं आत्मा हूँ, मैं सबका मित्र हूँ।

ॐ शांति

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गायत्री मंत्र 9 से अधिक भी जप सकते हैं। 24 हज़ार के अनुष्ठान हेतु 27 माला रोज जप सकते हैं, 9 दिन तक।


पूर्णाहुति यज्ञ या दीपयज्ञ के माध्यम से कर लें।

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