प्रश्न - आलस्य मुझपर हावी है, क्या करूँ?
उत्तर- आलस्य अंधकार की तरह है, जिसे उससे लड़कर या उसके बारे में सोचकर दूर नहीं किया जा सकता।
अंधकार को दूर करने के लिए प्रकाश चाहिए, और आलस्य को दूर करने के लिए ऐसा मनपसंद लक्ष्य चाहिए जिसे पूर्ण करने के लिए मन मचल उठे।
यदि लक्ष्य न मिला तो सभी प्रयास आलस्य को दूर करने के विफल हो जाएंगे।
लक्ष्य या तो स्वतः बना लो, या कामयाब लोगों के 100 दिन उनकी वीडियो में बायोग्राफी देख लो। किसी न किसी की क़ामयाबी तो मन मे हलचल उतपन्न करेगी ही, कोई कोई कामयाब व्यक्ति की योग्यता व तुम्हारी योग्यता मैच करेगी ही। फिर लक्ष्य मिलते ही आलस्य स्वयमेव विदा हो जाएगा।
शरीर व मन का आलस्य को दूर करने के लिए योग, व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान व स्वाध्याय करो।
एक जलते हुए घी के दीपक को कुछ क्षण अनवरत देखो, और स्वयं के जीवन लक्ष्य पर विचार करो कि तुम्हारा मन क्या चाहता है?:-
1- स्वयं के लिए क्या चाहता है?
2- माता पिता के लिए क्या करना चाहता है?
3- समाज के लिए क्या योगदान करना चाहता है?
4- जो भी जीवन में लक्ष्य बनाया है उसके दो हिस्से क्या हैं? उसका कैरियर लक्ष्य क्या है? उसका मनचाहा कैरियर बनने के बाद उसके आगे जीवन लक्ष्य क्या होगा?
5- उसकी आत्मसंतुष्टि व आत्मसमृद्धि के लिए वह क्या करेगा?
किस श्रेणी का इंसान बनना चाहता है?
1-देवमानव (देवता जैसा मनुष्य, लोककल्याण करने वाला)
2- महामानव (महान इंसान, अच्छे कार्य करने वाला)
3-मानव (इंसानियत व मानवतावा से युक्त इंसान)
4- मानव पशु (नर पशु - पेट प्रजनन के लिए जीने वाला)
5- दानव(नर पिशाच - दुनियाँ का उत्पीड़न व शोषण करने वाला)
निर्णय ले लो, तो आलस्य को मन में रहने की जगह नहीं मिलेगी। वह स्वतः चला जायेगा।
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