अपने जीवन के राज जो कि गोपनीय रखने में ही भलाई है वह किसी से भी शेयर नहीं करना चाहिए। यदि वह व्यक्तिगत बात मन मे तनाव उत्तपन्न कर रही है तो किसी मनोचिकित्सक से सेशन लेकर उसके समक्ष व्यक्त करें या किसी आध्यात्मिक मार्गदर्शक जिस पर आपका अटूट विश्वास है व जिसे आप जानते हैं उससे डिस्कस कर लें।
कोई ऐसा मित्र जो आपका फेमिली मित्र नहीं है, व स्कूल व कॉलेज से घनिष्ठ मित्रता है। जो आपको समझता है व अत्यंत विश्वासपात्र है, उससे डिस्कस कर लें।
माता पिता यदि मित्रवत एवं सुलझे हुए व्यक्तित्व के हैं, जो आपको समझते हैं, उनसे भी डिस्कस कर सकते हैं।
पति या पत्नी एक दूसरे से विवाह पूर्व की या मायके पक्ष की कोई भी व्यक्तिगत बात आपस में डिसकस न करें। जिस दिन विवाह हुआ उससे पूर्व का जीवन वर्तमान जीवन को प्रभावित नहीं करना चाहिए, पूर्व की चर्चा न करें तो उत्तम है। अतः जिस दिन विवाह हुआ वह नया जन्म है व नया जीवन है, इस विवाह दिन के बाद की बातों को ही आपस मे डिसकस करें। उसके बाद का ही सबकुछ एक दूसरे से शेयर करें। एक दूसरे का विश्वास इस विवाह के बाद मिले नए जन्म के बाद कभी न तोड़े। मित्रवत रहें।
यदि कोई न मिले व बात पेट मे दर्द और मन के तनाव उतपन्न कर रही हो, तो पूजन गृह में घी का दीपक जलाएं। पूरी बात लिख डाले फिर उसे दीपक की लौ में जला दें। लंबी गहरी श्वांस लें व कुछ क्षण नेत्र बन्द कर मौन बैठें। तनाव चला जायेगा। अच्छा महसूस होगा।
No comments:
Post a Comment