भावनात्मक उफान प्रेम, भय, क्रोध इत्यादि किसी का भी हो वह रक्त संचरण को उद्वेलित करता है, अतः धड़कन बढ़ जाती है।
जिस किसी कार्य को शुरू करने से पहले भय की भावना मन मे उठेगी तो दिल की धड़कन बढ़ेगी।
जब इंसान किसी कार्य को शुरू के दौरान मन में भय या प्रेम की अधिकता पर पहुंचता है तब उसके दिल की धड़कन काफी तेज हो जाती है। इस दौरान ब्लड प्रेशर कभी-कभी 120 से बढ़ कर 240 तक पहुंच सकता है। इसी तरह पल्स रेट भी दोगुना हो सकता है। साथ में सांस भी फूलने लगती है। बात साफ है कि यह भय कुछ क्षण ही रहता है और यदि एक बार काम करना शुरू कर दो तो वह नॉर्मल हो जाता है। यदि कार्य शुरू करने के दौरान अगर कुछ वक्त के लिए दिल तेजी से धड़कने लगे तो घबराने की बात नहीं। यह नॉर्मल है। ज्यादा भय से थोड़ी बहुत कमजोरी भी लग सकती है क्योंकि भय से उपजे तनाव से उस वक्त शरीर से कार्टिसोल हॉरमोन के रिसाव के कारण सारे मसल्स में एक खास तरह की ऐंठन होती है, जिसकी वजह से कई बार थकान महसूस होती है। लेकिन याद रहे कार्य शुरू होंने व पूर्णता के बाद एक ताजगी की लहर जरूर आ जाती है।
मानसिक कमज़ोरी व भावनात्मक वेग को नियंत्रित करने के लिए 11 बार गहरी श्वांस के साथ पूर्णिमा के चांद का ध्यान लाभप्रद है। गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जप अच्छे हार्मोन के रिसाव में मदद करते हैं जो तनाव जनित बुरे हार्मोन्स कार्टिसोल के प्रभाव को नियंत्रित करता है।
यदि गाय के गुनगुने दूध में हल्दी व थोड़ा देशी गाय का घी मिलाकर रोज रात को पियेंगे तो तन व मन दोनो मजबूत होगा। सुबह नित्य मन्त्रजप, ध्यान, प्राणायाम व महापुरुषों की वीरता की जीवनियां पढ़ने पर और उन सूत्रों को जीवन मे उतारने से मन इतना मजबूत हो जाएगा कि भय कभी उतपन्न नहीं होगा। साहस से मन भर उठेगा।
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