Saturday 28 November 2020

सफलता का मूलमंत्र क्या है ?

 

सफलता का मूलमंत्र क्या है ?

खेती के अपने नियम है, कि अमुक समय अमुक टाइप की भूमि पर अमुक फसल अमुक नियमावली से बोवोगे तो फसल मिलेगी।

वैसे ही मात्र सफल होने के विचार सोचने से अपेक्षित परिवर्तन नहीं होता। विचार तो मात्र बीज है। बीज को देखकर उसके भीतर के बड़े वृक्ष की कल्पना की जाती है। परंतु उस बीज को पौधे में परिवर्तित होने व फलदार वृक्ष बनाने में एक माली का अथक परिश्रम व समय साधन लगता है।

परिवार वालों के समक्ष तुम अपनी इच्छा का बीज लेकर पहुंचते हो, व उनके समझाने का प्रयास करते हो। परिवार वाले अपने पिछले अनुभव अनुसार तुम्हे सलाह देते हैं। भाई जो इच्छा का बीज लेकर आये हो बड़ी मेहनत है,दूसरे के बहकावे में मत आओ। सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग इत्यादि इत्यादि।

तुम यदि अपनी इच्छा के बीज के बारे में संकल्पित हो तो योजना पर कार्य करो, सबसे पहले यह जानो कि तुम किस क्षेत्र में अच्छा मुकाम व सफलता चाहते हो।

एक प्रयोग 100 दिन का करके देखो:-

1- सर्वप्रथम जिस क्षेत्र का विचार प्रबुद्ध - अच्छा मुकाम बनाना है, सफलता पानी है, उस क्षेत्र व कार्य को चुनो।

2- उससे सम्बंधित 10 किताबों को खरीद लो व उनके नोट्स बनाओ, उनसे सम्बंधित छोटी से छोटी, बड़ी से बड़ी जानकारी इकट्ठी करो।

3- उस लक्ष्य से सम्बंधित क्षेत्र के 20 प्रसिद्ध लोगों के बारे में इंटरनेट पर जानकारी ढूढों। वह उस क्षेत्र में कैंसे सफल हुए यह जानो।

4- सम्बंधित विषय व क्षेत्र के सफल लोगों की जीवनियां, आर्टिकल, भाषण जो कुछ भी नेट पर उपलब्ध हो पढ़ना शुरू करो।

5- नित्य 324 बार गायत्री मंत्र ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय के एक घण्टे पहले) में उगते सूर्य का ध्यान करते हुए जपो। भावना करो कि तुम्हारे मष्तिष्क में सूर्य के ज्ञान का प्रकाश प्रवेश कर रहा है।

6- जब भी बाथरूम में जाओ या किसी भी एकांत क्षण में जाओ जहां कोई न हो, सम्बंधित विषय को सोचो। तुम्हारे दिमाग़ में तुम्हारा लक्ष्य क्लियर व स्पष्ट होना चाहिए। मन उस विषय से हटना नहीं चाहिए। अपने लक्ष्य के प्रति जुनून भीतर पैदा करो।

7- रात को सोते वक्त सम्बन्धी विषय के कुछ नोट्स बनाओ, उन्हें लिखकर तकिए के नीचे रखकर सो जाओ। तुम्हारा जागृत मन व स्वप्न जगत व समस्त इंद्रियां सोते जागते उस लक्ष्य पर केंद्रित हो। उसे पाने में जुट जाएं।

8- समस्त जानकारी इकट्ठा करने के बाद पूरी योजना को बड़े लक्ष्य में कन्वर्ट करो। फिर उसके छोटे छोटे माइल स्टोन निर्धारित करो। तुम्हारे पास वर्ष में क्या हासिल करना है यह भी पता हो और प्रत्येक दिन में क्या हासिल करना है यह भी क्लियर होना चाहिए।

9- प्रत्येक रात दिन की समीक्षा करो, व अगले दिन की तैयारी करो। प्रत्येक सप्ताह में अपनी सप्ताहिक समीक्षा करो। फिर मासिक समीक्षा, वार्षिक समीक्षा इत्यादि। स्वयं के लिए चंद्रगुप्त व चाणक्य दोनो की भूमिका निभाओ। स्वयं के जीवन के लिए स्वयं गुरु समान कठोरता व नियमावली निश्चित करो।

10- याद रखो, यदि किसी के समक्ष कुछ भी बोलने से पहले पूरी तैयारी के साथ बोलना। अधूरी तैयारी हो तो मौन रहना। कुछ करके दिखाओगे तो परिवार व संसार स्वतः तुम्हारे आगे नतमस्तक होगा।

हवा में बात करना व हवा में योजना बनाना मूर्खता है। जो सोचा है उसे करके दिखाने हेतु योजना what, when, how - क्या कब और कैसे करना है यह दिमाग मे क्लियर होंना चाहिए।

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