प्रश्न - अकेलेपन में इंसान अवसादग्रस्त क्यों होता है?
उत्तर - एक होता है व्रत-उपवास अर्थात भोजन न करने का आज निर्णय हमने स्वयं लिया है। तब मनःस्थिति प्रशन्न होती है।
दूसरा होता है किसी दण्ड स्वरूप भोजन न मिलना, दूसरे द्वारा हमें भूखा रखना। तब मनःस्थिति खिन्न (अवसादग्रस्त) होती है।
अकेलापन भी इसी तरह है,
जब विवेकशील व्यक्ति द्वारा किसी विशेष उद्देश्य के लिए एकांत व अकेलेपन में रहने का निर्णय लिया जाता है। तब वह उस एकांत के पलों में प्रशन्न होता है। उदाहरण - लेखक, वैज्ञानिक और तपस्वी
जब सामान्य जन बिना उद्देष्य के मजबूरी में एकांतवास करता है व अकेले पन में रहने को विवश होता है। तब वह उन एकांत के पलों में खिन्न(अवसादग्रस्त) हो जाता है। उदाहरण - विद्यार्थी को पढ़ने का मन न हो व जबरन पढ़ने हेतु अकेले रूम में माता पिता रख दें, घर से बाहर अकेले रूम में जॉब सर्च हेतु विवशता में रहना।
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