मानसिक थकान दूर कर मन को रिलैक्स करने हेतु निम्नलिखित कार्य सोने से पूर्व करें।
गायत्रीमंत्र लेखन दोनों हाथ से करना है, यदि बाएं हाथ से राइटिंग बिगड़ रही है तो चिंता न करें। नित्य अभ्यास से वह बेहतर बनेगी। कम से कम 5 लाइन दाहिने हाथ से और 5 लाइन बाएं हाथ से लिखना है। मन्त्रलेखन जिस कॉपी में कर रहे हैं उसे तकिए के नीचे रखकर सोना है। मन्त्र अधिक जितना चाहे उतना लिखें।
मन्त्र लेखन से पूर्व भावना/कल्पना करें :-
"मेरे रक्त का रंग खूब लाल है, यह मेरे उत्तम स्वास्थ्य का द्योतक है। इसमें अपूर्व ताजापन है। इसमें कोई विजातीय तत्व नहीं है, इस रक्त में प्राण तत्व प्रवाहित हो रहा है। मैं स्वस्थ व सुडौल हूँ और मेरे शरीर के अणु अणु से जीवन रश्मियाँ नीली नीली रौशनी के रूप में निकल रही है। मेरे नेत्रों से तेज और ओज निकल रहा है, जिससे मेरी तेजस्विता, मनस्विता, प्रखरता व सामर्थ्य प्रकाशित हो रहा है। मेरे फेफड़े बलवान व स्वस्थ हैं, मैं गहरी श्वांस ले रहा हूँ, मेरी श्वांस से ब्रह्मांड में व्याप्त प्राणतत्व खीचा जा रहा है, यह मुझे नित्य रोग मुक्त कर रहा है। मुझे किसी भी प्रकार का रोग नहीं है, मैं मेरे स्वास्थ्य को दिन प्रति दिन निखरता महसूस कर रहा हूँ। यह मेरी प्रत्यक्ष अनुभूति है कि मेरा अंग अंग मजबूत व प्राणवान हो रहा है। मैं शक्तिशाली हूँ। आरोग्य-रक्षिणी शक्ति मेरे रक्त के अंदर प्रचुर मात्रा में मौजूद है।"
"मैं शुद्ध आत्मतेज को धारण कर रहा हूँ, अपनी शक्ति व स्वास्थ्य की वृद्धि करना मेरा परम् लक्ष्य है। मैं आधिकारिक शक्ति प्राप्त करूंगा, स्वस्थ बनूँगा, ऊंचा उठूँगा। समस्त बीमारी और कमज़ोरियों को परास्त कर दूंगा। मेरे भीतर की चेतन व गुप्त शक्तियां जागृत हो उठी हैं। मेरी बुद्धि का उच्चतर विकास हो रहा है। मैं बुद्धिकुशल बन रहा हूँ, बुद्धिबल व आत्मबल प्राप्त कर रहा हूँ।"
"अब मैं एक बलवान शक्ति पिंड हूँ, एक ऊर्जा पुंज हूँ। अब मैं जीवन तत्वों का भंडार हूँ। अब मैं स्वस्थ, बलवान और प्रशन्न हूँ।"
निम्नलिखित सङ्कल्प मन में पूर्ण विश्वास से दोहराईये:-
1- मैं त्रिपदा गायत्री की सर्वशक्तिमान पुत्री/पुत्र हूँ।
2- मैं बुद्धिमान, ऐश्वर्यवान व बलवान परमात्मा का बुद्धिमान, ऐश्वर्यवान व बलवान पुत्री/पुत्र हूँ।
3- मैं गायत्री की गर्भनाल से जुड़ी/जुड़ा हूँ और माता गायत्री मेरा पोषण कर रही हैं। मुझे बुद्धि, स्वास्थ्य, सौंदर्य व बल प्रदान कर रही है।
4- मैं वेदमाता का वेददूत पुत्री/पुत्र हूँ। मुझमें ज्ञान जग रहा है।
5- जो गुण माता के हैं वो समस्त गुण मुझमें है।
6- मैं और मेरा परिवार भगवान की कृपा से सुखी व संतुष्ट है।
7- हम सभी स्वस्थ हैं व आनन्दमय जीवन जी रहे हैं।
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फिर गायत्रीमंत्र जप करना शुरू करे - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।*
जप या लेखन के बाद तीन बार ॐ शांति ॐ शांति ॐ शांति बोल लें। व दोनो हाथ को रगड़कर चेहरे पर जैसे क्रीम लगाते हैं वैसे ही घुमा लीजिये।
कोई अच्छी पुस्तक भी सोने से पूर्व पढ़ना अच्छा रहता है।
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