प्रश्न - कहावत है कि "शैतान को याद किया शैतान हाजिर" लेकिन "भगवान को याद किया भगवान हाजिर" यह कहावत क्यों नहीं बनी?
पहाड़ चढ़ने में प्रयत्न अधिक लगता है, खाई में गिरने हेतु ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं, बस थोड़ा सा फिसलना पर्याप्त है।
फसल उगाने के लिए मेहनत चाहिए, झाड़ व खर-पतवार स्वतः उग जाते हैं।
सँस्कारवान बच्चे बनाने में मेहनत लगेगी, बच्चे बिगाड़ने व कुसंस्कारी बनाने हेतु ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है।
शिक्षित बनने हेतु मेहनत चाहिए, अनपढ़ होने के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं।
शिक्षा का नाम याद करने से कोई शिक्षित नहीं बन सकता, शिक्षित बनने के लिए पढ़ने व मेहनत की जरूरत है।
इसीलिए भगवान को मात्र याद करने से भगवान हाजिर नहीं होते। उन्हें पाने के लिए प्रार्थना व पुरुषार्थ दोनों चाहिए। इसलिए कहावत नहीं बनी।
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