यदि बेचना आता हो तो साधारण कंकड़ भी वास्तु लाभ के नाम पर बेचा जा सकता है। क्योंकि साधारण मनुष्य मन से डरपोक होता है, स्वयं के लाभ के लिए गधे को भी पिताजी कहकर संबोधित कर सकता है।
लाफिंग बुद्धा फेंगशुई का ही एक चाइनीज प्रोड्क्ट है। लोग मानते हैं कि यह घर में सुख, समृद्धि लाता है।
चाइना वाले जब चाइना का भला नहीं चाहते तो भारतीय के भले का भला वो सोच भी कैसे सकते हैं? उनकी मार्केटिंग इतनी अच्छी है कि हमारे वास्तु व खगोलशास्त्र के ज्ञान को चुराकर नकली प्रोडक्ट बनाकर हमें बेवकूफ बना रहे हैं। बड़े मजे की बात यह है लोग बेवकूफ बन भी रहे हैं।
वस्तुतः यह श्रीगणेश जी का वास्तु प्रयोग का कॉपी किया हुआ है। क्योंकि भारतीय वास्तु शास्त्र जो कि खगोल व ग्रहों की गणना पर आधारित है, उसमें प्राचीन समय से श्री गणेश जी के उभरे पेट की प्रतिमा या मूर्ति को घर मे रखने से शुभता व समृद्धि आती है। उनको विघ्नहर्ता माना जाता है, उनकी सूंड चारों दिशाओं के दोष को दूर करती हैं।
**वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ।**
**निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।**
कई वास्तुदोषों का निवारण भगवान गणपति जी की पूजा से होता है। वास्तु पुरुष की प्रार्थना पर ब्रह्माजी ने वास्तुशास्त्र के नियमों की रचना की थी। यह मानव कल्याण के लिए बनाया गया था इसलिए इनकी अनदेखी करने पर घर के सदस्यों को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक हानि भी उठानी पड़ती है अत: वास्तु देवता की संतुष्टि के लिए भगवान गणेश को पूजना बेहतर है।
**सुख, समृद्धि व प्रगति **
यदि घर के मुख्य द्वार पर एकदंत की प्रतिमा या चित्र लगाया गया हो तो हो सके तो दूसरी तरफ ठीक उसी जगह पर गणेशजी की प्रतिमा इस प्रकार लगाएं कि दोनों गणेशजी की पीठ मिलती रहे। इस प्रकार से दूसरी प्रतिमा का चित्र लगाने से वास्तु दोषों का शमन होता है। भवन के जिस भाग में वास्तु दोष हो, उस स्थान पर घी मिश्रित सिन्दूर से स्वस्तिक दीवार पर बनाने से वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है।
घर या कार्यस्थल के किसी भी भाग में वक्रतुंड की प्रतिमा अथवा चित्र लगाए जा सकते हैं, किंतु प्रतिमा लगाते समय यह ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि किसी भी स्थिति में इनका मुंह दक्षिण दिशा या नैऋत्य कोण में नहीं हो।
नकलची चाइनीज़ के कुछ नमूने निम्नलिखित हैं:-
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