Thursday, 3 December 2020

कृष्णभक्ति व मार्गदर्शन

 बेटे, कोई भी मानव शरीर धारी गुरु मार्गदर्शन कर सकता है, मंजिल तक तुम्हे स्वयं पहुंचना होगा।

एक कहावत है, जब शिष्य मानसिक स्तर गुरु धारण को तैयार होता है तो गुरु स्वतः उसे मिल जाता है।

तुम स्वयं के मानसिक स्तर को तैयार कर लो, मात्र 108 दिन तक निम्नलिखित प्रयोग करो:-

1- कम्बल के आसन पर कमर सीधी कर नेत्र बन्द कर बैठ जाओ। बिस्तर पर भी बैठ सकते हो। पूजा रूम में बैठोगे तो उत्तम होगा।

2- नेत्र बन्द कर स्वयं को अर्जुन समझ कर जगतगुरु भगवान श्रीकृष्ण का अपने हृदय स्थल पर ध्यान करो। भावना करो कि श्री कृष्ण तुम्हारे हृदय में विराजमान हैं।

3- आँख खोलकर तीन बार निम्नलिखित मन्त्र का जप करो:-

ॐ नाराणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो श्रीकृष्ण: प्रचोदयात।

4- श्रीमद्भागवत भागवत गीता का एक अध्याय केवल हिंदी वाला जो बोल्ड में लिखा होता है उसे पढ़ो। इस्कॉन की श्रीमद्भागवत गीता यथास्वरुप पढ़ सकते हो या गीता गोरखपुर प्रेस की ले लो।

नित्य एक अध्याय पढ़ना है, अगले दिन दूसरा, तीसरे दिन तीसरा ऐसे करते करते 18 वें दिन अठारह अध्याय होगा। 19 वें दिन से फिर एक अध्याय से शुरू कर देना।

5- पुनः तीन बार निम्नलिखित मन्त्र का जप करो:-

ॐ नाराणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि। तन्नो श्रीकृष्ण: प्रचोदयात।

6- थोड़ी देर पुनः आंख बंद करो, जैसे एक मित्र दूसरे मित्र को अपनी बात बताता है। वैसे ही भगवान श्रीकृष्ण से अपने मन की बात बताओ।

7- पुनः धीरे धीरे आँख खोलो, दोनो हाथ रगड़ो और मुंह मे जैसे क्रीम लगाते हैं। वैसे हाथ चेहरे पर घुमाओ।

8- भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना करो कि भगवान जिस प्रकार आपने अर्जुन का मार्गदर्शन किया,मेरा भी कीजिये।

9- नित्य कामयाबी के किस्से, तेनालीराम, चाणक्य इत्यादि के समय मिलने पर यूट्यूब में जीवनियां देखो। इनकी सफलता के फार्मूले अपनाओ।

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