प्रश्न - माता पिता जब लड़की का कन्यादान करते है शादी मैं तो लड़की और दामाद के पैर धो के पानी क्यों पीते है इसमें क्या मान्यता है और इसका क्या कोई आध्यात्मिक महत्व है ?
उत्तर - वर वधु को लक्ष्मी व विष्णु का रूप माना जाता है। विवाह के समय पहले मिट्टी के घर इत्यादि होते थे व खेतों में मिट्टी हल से नरम व समतल करके उसके ऊपर धान के पौधे की सूखी पुआल बिछा के विवाह होता था।
मात्र यज्ञ कुंड के आसपास मिट्टी होती थी व कुछ आसान बिछा होता था। यज्ञ कुंड में पहुंचते ही मिट्टी वाले पैर स्वच्छ व हाथ धुलाये जाते थे । अतः यज्ञ से पूर्व लड़के व लड़की का पैर धुलाने हेतु बड़े पके मिट्टी के पात्र या तसले में करवाया जाता था, जिससे जल आसपास न बिखरे। यज्ञ कुंड की व्यवस्था भी न बिगड़े।
समय के साथ इस प्रथा ने विकृत रूप धारण कर लिया। कहीं कहीं चरण धोकर पीना भी शुरू हो गया जो परंपरा का अपभ्रंश व विकृत रूप है।
हमारे धर्म संस्कृति में मात्र गुरु व माता-पिता के चरण धोकर माथे में लगाने की प्रथा है। वर वधु उम्र में छोटे होते हैं, बड़े माता पिता उनके चरण धोकर कभी नहीं पीते थे।
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