Sunday, 6 December 2020

दो लाइफ पार्टनर के बीच तीसरा तभी आएगा जब दो में से कोई एक चरित्रहीन होगा।

 दो लाइफ पार्टनर के बीच तीसरा तभी आएगा जब दो में से कोई एक चरित्रहीन होगा।


आजकल कानूनन चरित्रहीनता अपराध नहीं। यदि दो मैच्योर लोग एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर बनाते हैं तो उसकी शिकायत आप कहीं नहीं कर सकते। कानूनी मदद नहीं मिलेगी।


पत्नी यदि चरित्रहीन हुई तो घरवाले तुरंत तलाक लेने को कहेंगे और बोलेंगे कि इस कुलटा को तुरंत छोड़ दो। 90% केस में लड़का चरित्रहीन पत्नी को छोड़ देगा।


पति चरित्रहीन हुआ तो लड़की यदि ससुराल वालो से या मायकेवालों से शिकायत करेगी, तो लड़की की गलती निकाली जाएगी कि तुम ही पति को सम्हालने में अक्षम थी तभी तो वह बाहर मुंह मार रहा है। मात्र 10% स्वाभिमानी व आर्थिक आत्म निर्भर ही चरित्रहीन पति को छोड़ने की हिम्मत करेंगी। कुछ 5% जो माता पिता की लाडली होंगी व उन्हें सपोर्ट मिलेगा व तलाक ले सकेंगी । 85% उसी के साथ दुःखी व पीड़ित बनकर साथ रहेंगी।


कड़वा सत्य - माता पिता बड़ी मुश्किल से लड़की का विवाह करते हैं जो एक ख़र्चीली व सरदर्द की प्रक्रिया है। पुनः वही सरदर्द वो लेना नहीं चाहते इसलिए वह लड़की को तलाक में मदद नहीं करते।


लड़का जानता है यह सत्य, कि यह पत्नी मुझे छोड़कर जाएगी नही। इसके मायके वाले मदद करेंगे नहीं इसकी, साथ ही मेरे घरवाले तो इसकी खबर ले लेंगे यदि इसने मेरे खिलाफ कुछ बोला। कानून मेरा कुछ बिगाड़ नहीं सकता, क्योंकि कानूनन एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर जायज है। किसी प्रकार का कोई भय नहीं है।


अतः अब सोचना यह है कि लड़की को करना क्या है? स्वयं आत्म निर्भर बनकर उसे छोड़ना है। नित्य लड़ लड़ कर गृह क्लेश करना है। बच्चे इस कलह से दुःखी होंगे। झगड़े फसाद से कुछ खास फायदा नहीं होगा।


अपनी वस्तुस्थिति को दूर की सोच रखते हुए विचार कीजिए कि आप अब ऐसी स्थिति में क्या कर सकती है? स्वयं व यदि बच्चे हैं तो उन्हें कैसे सम्हाल सकती हैं?


किसी ताबीज़ या चमत्कार या दवा से चरित्रहीनता का उपचार सम्भव नहीं है। चमत्कार होते नहीं, अपितु करने पड़ते हैं।


छोटा मार्ग है, तलाक लेना। छोड़ देना।


एक लंबा कांटो भरा मार्ग है, जो बहुत धैर्य वाला है। वह है उसके अंदर सद्बुद्धि व धर्म जगाना। घृणा भुलाकर उसे निःश्वार्थ प्रेम करना व पत्नी धर्म निभाते रहना व उसके सुधरने की प्रार्थना करना। ज्यों ज्यों आपकी सकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी व आपके निःश्वार्थ प्रेम को देखेगा तो उसका पाषण हृदय पिघलेगा और वह एक दिन परिवर्तित होगा। क्योंकि यहां पतित पावनी पत्नी माँ गंगा बनती है व उद्धारक बनती है, पति को दोषमुक्त करती है। मगर आज के जमाने मे किसी लड़की के अंदर इतना धैर्य व साहस मिलना कठिन है।


महान पति भी चरित्र हीन पत्नी के लिए इस कठिन मार्ग का अनुसरण कर सकता है।।बच्चों के भविष्य के लिए चरित्रहीन पत्नी को त्यागने की जगह उसके सुधारने हेतु देवता बन सकता है।


स्वामी श्रद्धानन्द एवं अनेक महान पुरुषों को चरित्रहीनता व नशे से उनकी पत्नियों ने इसी लंबे मार्ग का अनुसरण कर सन्मार्ग पर लाया था। आज भी उनके पति उनके चरणों मे नतमस्तक हैं।


दो पार्टनर के बीच तीसरा तभी आएगा जब दो में से कोई एक चरित्रहीन होगा।


आजकल कानूनन चरित्रहीनता अपराध नहीं। यदि दो मैच्योर लोग एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर बनाते हैं तो उसकी शिकायत आप कहीं नहीं कर सकते। कानूनी मदद नहीं मिलेगी।


पत्नी यदि चरित्रहीन हुई तो घरवाले तुरंत तलाक लेने को कहेंगे और बोलेंगे कि इस कुलटा को तुरंत छोड़ दो। 90% केस में लड़का चरित्रहीन पत्नी को छोड़ देगा।


पति चरित्रहीन हुआ तो लड़की यदि ससुराल वालो से या मायकेवालों से शिकायत करेगी, तो लड़की की गलती निकाली जाएगी कि तुम ही पति को सम्हालने में अक्षम थी तभी तो वह बाहर मुंह मार रहा है। मात्र 10% स्वाभिमानी व आर्थिक आत्म निर्भर ही चरित्रहीन पति को छोड़ने की हिम्मत करेंगी। कुछ 5% जो माता पिता की लाडली होंगी व उन्हें सपोर्ट मिलेगा व तलाक ले सकेंगी । 85% उसी के साथ दुःखी व पीड़ित बनकर साथ रहेंगी।


कड़वा सत्य - माता पिता बड़ी मुश्किल से लड़की का विवाह करते हैं जो एक ख़र्चीली व सरदर्द की प्रक्रिया है। पुनः वही सरदर्द वो लेना नहीं चाहते इसलिए वह लड़की को तलाक में मदद नहीं करते।


लड़का जानता है यह सत्य, कि यह पत्नी मुझे छोड़कर जाएगी नही। इसके मायके वाले मदद करेंगे नहीं इसकी, साथ ही मेरे घरवाले तो इसकी खबर ले लेंगे यदि इसने मेरे खिलाफ कुछ बोला। कानून मेरा कुछ बिगाड़ नहीं सकता, क्योंकि कानूनन एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर जायज है। किसी प्रकार का कोई भय नहीं है।


अतः अब सोचना यह है कि लड़की को करना क्या है? स्वयं आत्म निर्भर बनकर उसे छोड़ना है। नित्य लड़ लड़ कर गृह क्लेश करना है। बच्चे इस कलह से दुःखी होंगे। झगड़े फसाद से कुछ खास फायदा नहीं होगा।


अपनी वस्तुस्थिति को दूर की सोच रखते हुए विचार कीजिए कि आप अब ऐसी स्थिति में क्या कर सकती है? स्वयं व यदि बच्चे हैं तो उन्हें कैसे सम्हाल सकती हैं?


किसी ताबीज़ या चमत्कार या दवा से चरित्रहीनता का उपचार सम्भव नहीं है। चमत्कार होते नहीं, अपितु करने पड़ते हैं।


छोटा मार्ग है, तलाक लेना। छोड़ देना।


एक लंबा कांटो भरा मार्ग है, जो बहुत धैर्य वाला है। वह है उसके अंदर सद्बुद्धि व धर्म जगाना। घृणा भुलाकर उसे निःश्वार्थ प्रेम करना व पत्नी धर्म निभाते रहना व उसके सुधरने की प्रार्थना करना। ज्यों ज्यों आपकी सकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी व आपके निःश्वार्थ प्रेम को देखेगा तो उसका पाषण हृदय पिघलेगा और वह एक दिन परिवर्तित होगा। क्योंकि यहां पतित पावनी पत्नी माँ गंगा बनती है व उद्धारक बनती है, पति को दोषमुक्त करती है। मगर आज के जमाने मे किसी लड़की के अंदर इतना धैर्य व साहस मिलना कठिन है।


महान पति भी चरित्र हीन पत्नी के लिए इस कठिन मार्ग का अनुसरण कर सकता है।।बच्चों के भविष्य के लिए चरित्रहीन पत्नी को त्यागने की जगह उसके सुधारने हेतु देवता बन सकता है।


स्वामी श्रद्धानन्द एवं अनेक महान पुरुषों को चरित्रहीनता व नशे से उनकी पत्नियों ने इसी लंबे मार्ग का अनुसरण कर सन्मार्ग पर लाया था। आज भी उनके पति उनके चरणों मे नतमस्तक हैं।

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