प्रश्न - क्या हमें ईमानदार, सीधा और सरल नहीं होना चाहिए?
उत्तर - सीधा सरल भोला भाला ईमानदार हमें भगवान शिव की तरह होना चाहिए। अच्छे लोगों के लिए सीधा व सरल एवं दुष्टों के लिए साक्षात महाकाल बनने की योग्यता भी होनी चाहिए।
सीधा सरल के साथ साहसी व पुरुषार्थी भी होना चाहिए।
डरपोक बच्चे को ही दूसरे बच्चे डराते है। बहादुर बच्चे को डराने की कोई हिम्मत नहीं करता। अतः सीधे सरल बच्चे को बहादुर भी होना चाहिए।
जीवन के खेल में स्वयं की बैटिंग पर ध्यान दो, दूसरे रिश्तेदार, घरवाले, आस पड़ोस वाले, ऑफिस वाले सब समस्या व टेंशन की बॉलिंग एक एक करके करेंगे। अब तुम्हे जीवन का खेल नहीं आता तो टेंशन होगी। यदि खेलना आता है तो जीवन का आनन्द लोगी।
बेटे, हिरण सीधा सरल है उस ने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा होता है। फिर भी मांसाहारी जीव शेर, लकड़बग्घे, जंगली सुअर इत्यादि नित्य उसे शिकार बनाने हेतु आते हैं। हिरण को उन सबसे तेज दौड़ना है, जिस दिन वह तेज न दौड़ा तो उनका शिकार बनेगा व मृत्यु को प्राप्त होगा।।
बेटे, इसी तरह सीधा व सरल होने के साथ साथ यदि बुद्धिकुशल व आत्मबल के धनी नहीं बने, तो टेंशन देने वाले जीव तुम्हारा शिकार अवश्य करेंगे। तुम्हें परेशान जरूर करेंगे।
उदाहरण - तुम जेबकतरे व चोर नहीं हो, तो तूम्हारे सीधा सरल व ईमानदार होने से जेबकतरा तुम्हें नहीं बख्शेगा, वह स्वयं की आदत अनुसार तुम्हारी जेब काटने का प्रयास करेगा। तो सीधा व सरल के साथ सतर्क भी रहो व जेब न कटे इसलिए होशियार रहो। तुम्हें ईमानदार व सतर्क रहना है।
जेबकतरों से बचने के लिए जेबकतरा बनने की जरूरत नहीं है। दुष्टों से बचने के लिए दुष्ट बनने की जरूरत नहीं है।
मात्र हिरण की तरह दिल का अच्छा होना काफी नहीं है, जीवन रक्षण हेतु हिरण की तरह दौड़ना भी आना चाहिए। इसीतरह मात्र अच्छा इंसान व भोला होना काफी नहीं, स्व रक्षण के लिए भोलेनाथ को महाकाल बनने की योग्यता भी होनी चाहिए। यह संसार है, यहां आत्मबल रूपी ऊर्जा व बुद्धि रूपी हथियार के साथ स्ट्रेंथ(शक्ति), स्टेमिना(दमख़म) व स्पीड(गति) अनिवार्य है।
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