मेकअप - का अर्थ सजना सँवरना होता है। लेकिन शास्त्रों में कहा गया है कि "अति सर्वत्र वर्जयेत" - किसी भी चीज़ को अत्यधिक करना हानिकारक है।
भोजन जरूरी है, लेकिन अधिक भोजन बीमारी का घर है व मृत्यु कारक हो सकता है।
साधारण आवश्यक मेकअप स्त्री का जरूरी है, क्योंकि स्त्री को ऊर्जा का स्रोत कहा जाता है। कुछ रँग जैसे सिंदूर व बिंदी , चूड़ियां व आवश्यक आभूषण की खनक से घर में उत्साह उमंग का वातावरण बना रहता है, साथ स्त्री के ब्लड प्रेशर व स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी होता है। उसकी कायिक ऊर्जा को संतुलित करता है।
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का ब्रह्मरंध्र अधिक संवेदनशील और कोमल होता है। सिंदूर में पारा धातु पाया जाता है, जिससे शरीर पर लगाने से कायिक विद्युत ऊर्जा नियंत्रण होती है। इससे नकारात्मक शक्ति दूर रहती है। साथ ही सिंदूर लगाने से सिर में दर्द, अनिद्रा और अन्य मस्तिष्क से जुड़े रोग भी दूर होते हैं। रँग चिकित्सा के अनुसार भी सिंदूर के अनेक फायदे हैं।
लेकिन आजकल का अप्राकृतिक मेकअप अत्यंत हानिकारक है, जो बहुत से रोगों का जन्मदाता है। हमारे रोमछिद्र भी श्वांस लेते हैं यदि इन्हें क्रीम द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया तो वहां की स्किन शनै: शनै: मृत होने लगती है। ज्यादा नेलपॉलिश से सूर्य की ऊर्जा व ब्रह्मांड की ऊर्जा तरङ्ग हमारी हड्डियों में अवशोषित नहीं हो पाते। जिससे हड्डियां नित्य खोखले पन का शिकार बनती हैं।
प्राकृतिक घी को जलाकर उसमें देशी गाय का घी मिलाकर लगाना जितना लाभप्रद है, उतना ही हानिकारक बाज़ार का काजल है जो सुअर की चर्बी से बने फैट से बनता है। सुअर ही मात्र एक ऐसा जीव है जिसके चमड़े को प्रोसेस करके उससे निकला फैट लिपस्टिक व काजल जैसे रँग व फैट मिश्रित प्रोडक्ट बनाने में मदद करता है। अन्य जानवरों के फैट में प्रोडक्ट की वह क्वालिटी नहीं बन पाती है।
यह ज़हरीले रसायन जो कि चमड़ी को नुकसान पहुंचाते हैं, वह न ही लगाएं तो उत्तम होगा।
जिन महिलाओं को स्वयं का ओरिजिनल चेहरा व स्किन का रँग कम आकर्षक लगता है, या वह स्वयं कहीं न कहीं हीनता के भाव से ग्रसित होती हैं। या जिनका आय का माध्यम अंग प्रदर्शन है। या जिन गृहणियों को मान सम्मान नहीं मिलता। मात्र वह ही भड़काऊ मेकअप व कामुक वस्त्र का सहारा लेकर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करती हैं।
जिन महिलाओं में आत्मविश्वास होता है। जिनका कोई न कोई शशक्त वजूद होता है। जिनके मन मे किसी का ध्यान व्यर्थ में अपनी ओर आकृष्ट करने की चाह नहीं होती। वह साधारण व हल्का मेकअप बस उतना करती हैं जिससे वह व्यवस्थित व अच्छी दिख सकें। इनके वस्त्र भी शालीन व सभ्य होते हैं। क्योंकि यह मानसिक रूप से शशक्त होती हैं और कोई न कोई उद्देश्य के लिए अपनी मानसिक ऊर्जा खर्च कर रही होती हैं।
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