प्रश्न - हम दूसरो की उपस्थिति में कोई भी गलत कर्म करने से बचते है लेकिन एकांत में ईश्वर के सर्व्यापाक होने पर भी उनकी उपस्थिति को नजरंदाज कर गलत कर्म करते है। ऐसा क्यों?
उत्तर - सीधी सी बात है, हम ईश्वर को मानने का ढोंग करते हैं। ईश्वर को न जानते हैं व न 100% विश्वास करते हैं और न अनुभव करते हैं कि वह देख रहा है।
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